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क्या है जसपुर की जनता का रुझान जानिये ?

चुनावी बिगुल बज चुका है और प्रदेश की दोनों ही बड़ी पार्टियों ने अपनी अपनी रणबांकुरे मैदान में उतार दिए हैं। आज हम बात कर रहे हैं उधमसिंह नगर विधानसभा क्षेत्र की इस जिले नौ विधानसभाएँ आती हैं जिनमें जसपुर, बाजपुर, काशीपुर गदरपुर रुद्रपुर, किच्छा, नानकमत्ता, सितारगंज और खटीमा।

अगर बात की जाए पिछले विधानसभा चुनाव होगी तो हम देख सकते हैं कि ऊधमसिंह नगर जिले में नौ सीटों में से सिर्फ एक सीट कांग्रेस के खाते में गई थी, वो भी जसपुर की,एकमात्र एकलौती ऐसी सीट थी जहाँ भाजपा को जिले में हार नसीब हुई थी.

बात अगर जसपुर से शुरू की जाए तो हम देख सकतें हैं की जिले की 9 सीटों में से सिर्फ जसपुर ही एकमात्र ऐसी जगह थी जहाँ से कांग्रेस ने जीत हासिल की थी यहाँ के आदेश सिंह चौहान ने भाजपा के शैलेन्द्र मोहन सिंघल को 4,204 वोटो से शिकस्त दी थी. आदेश सिंह चौहान को लगभग 42,500 वोट मिले थे जबकि उनके प्रतिद्वंद्वी भाजपा के शैलेन्द्र को 38,300 वोटो में ही संतोष करना पड़ा था, वहीँ इस बार कांग्रेस ने एक बार फिर से आदेश सिंह चौहान पर भरोसा जताया है जबकि भाजपा ने भी एक बार फिर शैलेन्द्र मोहन को ही मैदान में उतारा है. इस मुकाबले में सबसे मज़ेदार बात यह है की शैलेन्द्र मोहन यहाँ से तीन बार विधायक रह चुके हैं एक बार वो जब निर्दलीय जीते थे तथा 2 बार जब उन्होंने कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ा था. जबकि इस बार कांग्रेस के टिकट से चुनाव लड़ रहे आदेश सिंह चौहान भी 2012 में भाजपा के टिकट से चुनाव लड़ चुकें हैं लेकिन उन्हें जीत तब मिली जब वो कांग्रेस का टिकट ले आये 2017 में.

4 बार में से तीन बार यह सीट कांग्रेस के खाते में गयी है जबकि एक बार निर्दलीय कैंडिडेट रहकर शैलेन्द्र यहाँ से विजयी बन चुकें हैं ऐसे में कांग्रेस के पास इस सीट को बचाए रखना एड़ी चोटी का जोर लगाना होगा जबकि भाजपा यहाँ से आजतक नही जीती, ऐसे में यहाँ से भाजपा के पास खोने को कुछ नही है लेकिन अगर वो सीट जीत जाती है तो यह जसपुर के लिए एक इतिहास रचने जैसा हो जायगा. इस विधानसभा में एक और ख़ास बात यह रही है की यहाँ अगर २०१७ की बात छोड़ दें तो कांग्रेस का मुकाबला भाजपा से कभी नहीं रहा

2002 में जब डॉक्टर शैलेंद्र मोहन ने निर्दलीय चुनाव लड़ा था तो उनका मुकाबला कांग्रेस के अब्दुल हफीज से हुआ था जहाँ पर अब्दुल हफीज ने 12,580 मत प्राप्त किए थे और डॉ। शैलेंद्र मोहन ने 13897 वोटों की मदद से जीत हासिल की थी। हम देख सकते हैं लगभग। 1000 से थोड़े से ही ज्यादा वोट मार्जिन से यहाँ पर डॉक्टर शैलेंद्र मोहन ने जीत हासिल की थी। मार्जिन बहुत कम रहा है यहाँ पर

वहीं अगर बात करें 2007 की तो दो में हम देख सकते हैं कि जब कांग्रेस से टिकट लिया, डॉक्टर शैलेंद्र मोहन ने तो इन्हें 25,063 वोट मिले। इनका मुकाबला मोहम्मद उमर से हुआ जहाँ मोहम्मद उमर को 13,368 वोट मिले थे। यह हालांकि यहाँ पर और वोट और जीत का मार्जिन बहुत अच्छा था। लगभग 10,000 से ज्यादा जीत मार्जिन था। तीसरे नंबर पे अब्दुल हफीज रहे थे, जिन्हें 8851 वोट मिले थे। उन्होंने समाजवादी पार्टी से उन्होंने यहाँ पर चुनाव लड़ा था। वहीं सुरेंद्र सिंह चौहान यहाँ पर चौथे नंबर पर आए थे। भाजपा से टिकट मिला था, उन्हें 817 वोट मिले थे। वही आदेश चौहान बीएसपी से चुनाव लड़े थे।

वही इसके बाद अगर बात करें 2012 के चुनावों की तो डॉक्टर शैलेंद्र मोहन इन्हें कांग्रेस से टिकट मिला था। उन्होंने 25,533 वोट उन्होंने हासिल किए थे और दूसरे नंबर पर जो इनका मुकाबला मोहम्मद उमर से हुआ था जिन्हें BSP से टिकट मिला था। 22753 वोट प्राप्त किये थे और यहाँ मुकाबला बहुत कड़ा देखने को मिला था वहीँ तीसरे नंबर पर आ गए थे बीजेपी से आदेश सिंह चौहान। जिन्हें 21,604 वोट मिले थे।

तो बीजेपी हमेशा यहाँ पर तीसरे या चौथे नंबर पर रही है और अगर बात की जाए 2017 के चुनाव होगी तो 2017 के चुनावों में जो बात क्लियर निकलकर सामने आती है, वह यह कि कांग्रेस के आदेश चौहान 42,551 वोट लेकर आए थे। 38347 के vote लेकर आए थे और डॉक्टर शैलेंद्र मोहन। अब यहाँ पर मुकाबला बीजेपी से हुआ था। हालाँकि जीत का मार्जिन ठीक ठाक था लेकिन दुसरे नंबर पर रहे डॉक्टर शैलेन्द्र ने यहाँ काफी टक्कर दी थी. तीसरे नंबर पर यहाँ पर मोहम्मद उमर रहे थे। बहुजन समाज पार्टी से इन्हें 8666 वोट मिले थे। २०१७ के अलावा भाजपा कहीं पर भी जसपुर में कॉम्पटीशन में नहीं रही है लेकिन इस बार यह कहा जा रहा है कि इस बार मुकाबला कांग्रेस तथा भाजपा के बीच में देखने को मिलेगा।

इस बार भी वही मुकाबला देखने को मिलेंगे जो 2017 में देखने को मिला था। क्योंकि इस बार कांग्रेस से टिकट मिला है। वो आदेश चौहान है जो पहले लगभग 42,000 वोट लेकर आए थे और भाजपा से डॉ। शैलेंद्र मोहन सिंघल है जिन्होंने लगभग 38,000 वोट हासिल किये थे। वोटों का मार्जिन लगभग 4000 था। यहाँ वहीँ कांटे की टक्कर एक बार फिर देखने को मिल रही है. जैसा की हमने आपको पहले भी बताया की भाजपा के पास इस सीट पर खोने को कुछ ख़ास नही है क्युकी अभी तक भाजपा इस सीट से नही जीती है लेकिन कांग्रेस के लिए यह सीट बहुत अहम् हो जाती है, भाजपा के प्रचंड बहुमत में भी कांग्रेस अपनी साख इसी सीट से बचाने में कामयाब रही थी, और जिले की 9 सीटों से जहाँ कांग्रेस का सूपड़ा साफ़ होते होते बचाया था तो वो यही जसपुर की ही सीट थी. इस बार आपको क्या लगता है हमे कमेंट करके बताइए, तब तक देखतें रहे उत्तराखंड न्यूज़ एक्सप्रेस

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