ये दोनों लड़कियां भले ही लड़की का शरीर लेकर पैदा हुई थीं, लेकिन जेंडर आइडेंटिटी के विपरित जिंदगी जीने को मजबूर थीं। न तो परिवार उनको समझ पाया और न ही समाज। बाद में दोनों ने लड़के का दर्जा पाने के लिए नेशनल पोर्टल फॉर ट्रांसजेंडर पर्सन्स पर आवेदन किया। जिसमें दोनों का नाम दर्ज कर लिया गया है। इसी के साथ डीएम ने उन्हें पहचान पत्र व प्रमाण पत्र सौंप दिए हैं। डीएम धीराज गर्ब्याल ने बताया कि आवेदकों को विधेयक की धारा पांच के अधीन पहचान पत्र व प्रमाण पत्र जारी कर दिए गए हैं। लोग इस पोर्टल पर सीधे आवेदन कर सकते हैं। उन्होंने बताया कि पहचान बदलने वालों के नाम नियमानुसार सार्वजनिक नहीं किए जाते हैं।
जिला समाज कल्याण अधिकारी दीपांकर घिल्डियाल को इस कार्य के लिए नोडल अधिकारी बनाया गया है। जिला समाज कल्याण अधिकारी ने बताया कि पोर्टल पर आवेदन करने के बाद लड़के व लड़कियों के दस्तावेजों का भौतिक सत्यापन किया जाता है, ताकि कोई गलत प्रमाण पत्र न बन सके। बता दें कि भारत सरकार के सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय की ओर से उभयलिंगी व्यक्ति अधिनियम 2019 लागू किया गया है। इसके तहत लिंग के विपरीत जीवन जीने वाले युवक-युवतियों को नेशनल पोर्टल फार ट्रांसजेंडर पर्सन्स पोर्टल पर ऑनलाइन आवेदन करना होता है। पोर्टल पर नैनीताल जिले की दो युवतियों ने लड़के का दर्जा पाने के लिए आवेदन किया था।