
भारत ने एक बार फिर यह स्पष्ट कर दिया है कि कश्मीर भारत का आंतरिक मुद्दा है और इसमें किसी तीसरे पक्ष की कोई भूमिका नहीं हो सकती। अमेरिकी पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा भारत-पाकिस्तान के बीच कश्मीर मुद्दे पर मध्यस्थता की पेशकश को भारत ने सिरे से नकार दिया है।
विदेश मंत्रालय ने मंगलवार को साफ कहा कि भारत का हमेशा से यह स्थायी और स्पष्ट रुख रहा है कि जम्मू-कश्मीर से जुड़ा कोई भी मुद्दा भारत और पाकिस्तान के बीच द्विपक्षीय बातचीत से ही सुलझाया जाएगा। इसमें किसी बाहरी हस्तक्षेप की जरूरत नहीं है। मंत्रालय ने यह भी दोहराया कि लंबित मुद्दा केवल पाकिस्तान के अवैध कब्जे वाले भारतीय क्षेत्रों को मुक्त कराने का है।
ट्रंप की सीजफायर और मध्यस्थता की पेशकश
हाल ही में ट्रंप ने दावा किया था कि उन्होंने भारत-पाकिस्तान के बीच सीजफायर कराने में भूमिका निभाई और कश्मीर मुद्दे को सुलझाने के लिए प्रयास किए। उन्होंने यहां तक कहा था कि शायद “हजार साल बाद इसका हल निकले”, लेकिन वो कोशिश करते रहेंगे।
पाकिस्तान ने खुद मांगा था संघर्ष विराम: विदेश मंत्रालय
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया कि ऑपरेशन सिंदूर के बाद पाकिस्तान की स्थिति बेहद खराब हो गई थी और संघर्ष विराम की पहल पाकिस्तान ने ही की थी। इसके बाद दोनों देशों के DGMO के बीच बातचीत हुई और गोलीबारी बंद करने पर सहमति बनी।
ट्रंप के व्यापार रोकने की धमकी पर भी भारत का जवाब
ट्रंप ने दावा किया था कि उन्होंने दोनों देशों को संघर्ष रोकने के लिए व्यापार बंद करने की धमकी दी थी। इस पर रणधीर जायसवाल ने कहा कि 7 से 10 मई के बीच भारत-अमेरिका के बीच सैन्य हालात पर बातचीत जरूर हुई, लेकिन किसी भी चर्चा में व्यापार रोकने की बात नहीं हुई।
पाकिस्तान को करारा जवाब
विदेश मंत्रालय ने पाकिस्तान पर भी तीखा हमला बोला। जायसवाल ने कहा,
“पाकिस्तान की पुरानी आदत है हारने के बाद भी जीत का ढोल पीटता है। चाहे 1965 की जंग हो, 1971 हो या कारगिल, वो हर बार परास्त होकर भी जश्न मनाते हैं।”