ऋषिकेश: भारतीय संस्कृति विदेशी पर्यटकों को हमेशा से आकर्षित करती रही है। जो भी यहां आता है वो सनातन रंग में रंगकर अपने जीवन को धन्य कर लेना चाहता है। कनाडा की रहने वाली कैथरीन भी भारतीय संस्कृति से प्रभावित होकर उत्तराखंड पहुंची थीं। यहां उनका मन आध्यात्म, योग और वैदिक संस्कृति में इस कदर रमा कि वो मृ’त्यु के बाद भी इसी पावन धरती में लीन हो जाना चाहती थीं। 29 मार्च को कैथरीन का निधन हो गया। जिसके बाद उनकी इच्छा के अनुसार उनका अंतिम संस्कार हिंदू रीति-रिवाज के साथ किया गया। कैथरीन 65 साल की थीं।
वह पिछले करीब 15 सालों से युगांडा में एक एनजीओ के साथ काम रही थीं। करीब एक माह पहले उन्हें उत्तराखंड से लगाव यहां खींच लाया। वो एक महीने से ऋषिकेश में रह रही थीं। बीते 28 मार्च को उनकी तबीयत बिगड़ी तो उन्हें पहले निर्मल अस्पताल और फिर एम्स में भर्ती कराया गया। कैथरीन ने अपनी दोस्त डेनमार्क निवासी नाया से कहा था कि वो चाहती हैं कि उन्हें हिंदू रीति रिवाज के अनुसार अंतिम विदाई दी जाए। कैथरीन के निधन के बाद कनाडा दूतावास के माध्यम से कैथरीन के चारों भाइयों से संपर्क किया गया। बड़े भाई ने कैथरीन की इच्छा के अनुसार नाया के माध्यम से अंतिम संस्कार की अनुमति दी। इस प्रक्रिया में काफी समय लगा।
सोमवार को पोस्टमार्टम के बाद चंद्रेश्वर घाट पर कैथरीन को नाया ने मुखाग्नि दी। उनकी अस्थियों का एक भाग गंगा में विसर्जित का गया, जबकि दूसरे भाग को नाया युगांडा लेकर जाएंगी। नाया ने बताया कि कैथरीन को एक हफ्ते से उल्टी-दस्त की शिकायत थी। कैथरीन का भारतीय संस्कृति से गहरा लगाव है। इसी के चलते वो नाया संग ऋषिकेश के एक आश्रम में योग सीख रही थीं।