देहरादून – डीजीपी अशोक कुमार ने नेत्रत्व में पुलिस में काफी नए बदलाव सामने आ रहें हैं. जहाँ पिछले दिनों कोविडकाल के दौरान उनका चलाया गया ‘मिशन हौसला’ काफी सराहनीय रहा वहीँ राज्य में सामने आ रही साइबर फ्रॉड की नयी समस्याओं को ध्यान में रखते हुए एक हेल्पलाइन नंबर जारी किया गया है.
पैसों से जुड़े किसी भी साइबर फ्रॉड के लिए हेल्पलाइन नंबर 155260 पर करें कॉल तथा अपनी डिटेल देकर अपने साथ हुए फ्रॉड की जानकरी दें. अगर आप ऑनलाइन फ्रॉड के शिकार हुए हैं तो आपको परेशान होने की जरूरत नहीं है। आप गृह मंत्रालय भारत सरकार और उत्तराखण्ड पुलिस की ओर से जारी किए गए हेल्पलाइन नंबर 155260 पर कॉल कर शिकायत दर्ज करा सकते हैं। उत्तराखण्ड देश का तीसरा राज्य बना गया है, जिसे गृह मंत्रालय से साईबर हेल्पलाईन नम्बर 155260 के संचालन की अनुमति प्राप्त मिल गयी है। इस नम्बर पर किसी भी प्रकार के वित्तीय साईबर अपराध की सूचना दी जा सकती है तथा पीड़ित को अतिशीघ्र राहत देने का प्रयास किया जायेगा।
ऐसे मिलेगी हेल्प
➡ हेल्पलाइन नं0 155260 पर किसी भी तरह के फाइनेंशियल फ्राड होने पर काॅल करें।
➡ पुलिस ऑपरेटर धोखाधड़ी लेनदेन का ब्यौरा और कॉल करने वाले की निजी जानकारियों को नोट करता है. और उन्हें नागरिक वित्तीय साइबर धोखाधड़ी रिपोर्टिंग और प्रबंधन प्रणाली पर टिकट के रूप में जमा करता है।
➡ ये टिकट संबंधित बैंकों, वॉलेट्स, मर्चेंट वगैरह तक पहुंचा दिया जाता है, यह इस बात पर निर्भर करता है कि ये पीड़ित का बैंक है या वॉलेट जिसमें धोखाधड़ी का पैसा गया है।
➡ शिकायत के एकनॉलेजमेंट नंबर के साथ पीड़ित को एक SMS भी भेजा जाता है, जिसमें एकनॉलेजमेंट नंबर का इस्तेमाल करके 24 घंटे के भीतर धोखाधड़ी का पूरा विवरण राष्ट्रीय साइबर अपराध रिपोर्टिंग पोर्टल (https://cybercrime.Gov.in) पर जमा करने का निर्देश दिया जाता है।
➡ संबंधित बैंक, जो अब रिपोर्टिंग पोर्टल पर अपने डैशबोर्ड पर टिकट देख सकता है, अपने आंतरिक सिस्टम में विवरण की जांच करता है। अगर धोखाधड़ी का पैसा अभी भी वहां मौजूद है तो बैंक उसे वहीं पर ब्लॉक कर देता है। यानी फ्रॉड करने वाला वो पैसा निकाल नहीं सकता है।
➡ अगर धोखाधड़ी का पैसा दूसरे बैंक में चला गया है, तो टिकट अगले बैंक में बढ़ जाता है, जहां पैसा निकल गया है। यह प्रक्रिया तब तक चलती रहती है जब तक कि पैसा धोखेबाजों के हाथों में जाने से रोक न लिया जाए।