प्रदेश में आए दिन लोगो को भीड़ से और पार्किंग की दिक्कतों से सामना करना पड़ता है तो वही अब उत्तराखंड सरकार ने इसका इलाज ढूंढ निकाला है। दरअसल प्रदेश सरकार पहाड़ में पार्किंग की समस्या से निजात दिलाने के लिए टनल पार्किंग की शुरुआत कर रही है।
आपको बता दे की यह पार्किंग अभी तक देश में कहीं भी स्थापित नहीं कि गयी है। साथ ही पार्किंग की समस्या का टनल से निजात पाने वाला उत्तराखंड, देश का पहला राज्य बनने जा रहा है। टनल पार्किंग के लिए प्रदेश में चार कार्यदायी संस्थाएं हैं लेकिन इसकी पर्यावरणीय चुनौतियां भी कम न होंगी। पर्यावरणविदों ने इसे महाविनाश का रास्ता करार दिया है।
सूत्रों के मुताबिक दावा किया जा रहा है कि उत्तराखंड इस तरह का प्रयोग करनेे वाला देश का पहला राज्य होगा। प्रदेशभर में कुल करीब 180 पार्किंग स्थल चिन्ह्ति किए गए हैं, जिनमें टिहरी और पौड़ी जिले में पहले चरण में 12 टनल पार्किंग के स्थान चिन्ह्ति किए गए हैं। एनएचआईडीसीएल के अलावा अब टनल पार्किंग निर्माण के लिए कैबिनेट ने टीएचडीसी, यूजेवीएनएल और आरवीएनएल को कार्यदायी संस्था बना दिया है।
इस टनल के निर्माण से पर्यावरण को काफी नुकसान पहुँच सकता है जिसके चलते पर्यावरणविद् सुरेश भाई का कहना है कि टनल पार्किंग, सरकार का विकास नहीं बल्कि पहाड़ के महाविनाश की पटकथा साबित होगी। उन्होंने कहा कि सरकार पूरे प्रदेश को टनल प्रदेश बनाना चाहती है। साथ ही अगर प्रदेश में 558 बांध बन गए तो करीब डेढ़ हजार किलोमीटर सुुरंगें बनेंगी। लाखों लोग टनल पर आ जाएंगे। उन्होंने कहा कि रेल लाइन की वजह से जहां भी टनल निर्माण हुए हैं, वहां ऊपर के गांवों में दरारें आ गई हैं, जिसके प्रति सरकार बेपरवाह है। उन्होंने इसे पहाड़ की कमर तोड़ने का नासमझ फैसला करार देते हुए कहा कि प्रदेश में आज भी तमाम ऐसे स्थान हैं, जो वनभूमि जरूर हैं लेकिन वहां पेड़ नहीं हैं। सरकार को ऐसी जगहों को चिह्नित करके पार्किंग बनानी चाहिए।