उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने अपनी फेसबुक पोस्ट के ज़रिये कांग्रेस छोड़कर भाजपा में जाने वाले बागियों पर निशाना साधा है. बिना किसी का नाम लिए उन्होंने कहा की जो लोग धन अथवा दवाब में भाजपा में गये वो अब वापस लौटने को आतुर हैं. क्योंकी उन्हें लगता था की मुख्यमंत्री की कुर्सी पर हरीश रावत जमकर बैठा हुआ है अब भाजपा ने उन्हें दरकिनार करते हुए पुराने भाजपाई को सीएम बना दिया.
आपको बताते चलें की पिछले काफी दिनों से दोनों पार्टियों में कार्यकर्त्ता इधर से उधर होने की कवायद जारी है. वर्तमान सरकार से नाराज़ रहे हरक सिंह रावत की दिल्ली बैठक को लेकर काफी अटकलें लगायी जा रही हैं. आइसे पढ़ते हैं की आखिर हरदा ने अपनी फेसबुक वाल पर ऐसा क्या लिख दिया जो चर्चा का विषय बना हुआ है.
2016 में कितने लोग सरकार गिराने में सम्मिलित थे! यदि उनका विश्लेषण करिए तो कुछ लोग #भाजपा में मुख्यमंत्री बनने की बड़ी संभावना लेकर के गये, क्योंकि कांग्रेस में उनको हरीश रावत जमकर के बैठा हुआ दिखाई दे रहा था।
उन्हें मालूम था कि यदि कांग्रेस जीतेगी फिर हरीश रावत ही मुख्यमंत्री बनेगा तो वो मुख्यमंत्री पद की भाजपा में संभावना देखकर, क्योंकि उन्हें लगता था कि वहां कोई काबिल व्यक्ति नहीं है और कुछ लोग धन के लोभ में गये, कुछ लोग धन और दबाव में गये, जो लोग दबाव और धन दोनों में गये उनसे मेरा कोई गिला नहीं है। मगर एक बात मैं अवश्य कहना चाहता हूंँ कि ये लोग जो बार-बार मुझको कोसते हैं, जरा अपने-अपने निर्वाचन क्षेत्रों में देख लें, जितने भी विकास के कार्य जिनके कारण वो अपने-अपने निर्वाचन क्षेत्रों में सर उठाकर के खड़े हो पाते हैं, वो सब वही हैं जो हरीश रावत के कार्यकाल में स्वीकृत हुये और बने।
आज उनका मतदाता उनसे कह रहा है कि महाराज ये तो सब उस काल के हैं, जब आपने दल नहीं बदला था और दल बदलने के बाद हमने आपको विकास पुरुष समझकर नवाजा, मगर महाराज विकास कहां चला गया? आज दोनों प्रकार के लोगों में बेचैनी है, जिनको अपने क्षेत्र में विकास नहीं दिखाई दे रहा है, केवल सवाल उठते दिखाई दे रहे हैं और दूसरे वो लोग हैं जो मुख्यमंत्री पद की संभावना लेकर के आए थे, मगर भाजपा ने उनके लिए अंगूरों को खट्टा बना दिया। उन्होंने खांटी के भाजपाई को छांटकर के ही मुख्यमंत्री बनाया, तो आज फिर अपना पुराना DNA तलाश करते हुए वो कांग्रेस में आने को उत्सुक हैं। मगर #लोकतंत्र व उत्तराखंड के अपराधी हैं, तो आप विचार करें कि ऐसे लोगों के साथ क्या सलूक होना चाहिये?
“जय उत्तराखंड – जय उत्तराखंडियत”