उत्तराखंड के पूर्व मख्यमंत्री हरीश रावत ने वर्तमान धामी सरकार पर तीन सनसनीखेज आरोप लगायें हैं इन आरोपों में कहा गया है की आचार संहिंता लगने के बाद सरकार ने किसान आयोग और बाल संरक्षण आयोग, महिला आयोग में कई नियुक्तियां की हैं यह आचार संहिता का खुला उलंघन है. यह सनसनीखेज आरोप पूर्व सीएम ने अपनी फेसबुक पोस्ट के ज़रिये लगायें हैं. आइये देखतें है की क्या ख़ास हैं मुद्दों में
आरोप 1 – अपनी फेसबुक पोस्ट में आचार संहिंता लगने वाले दिन हुई नियुक्तियों को लेकर हरीश रावत कहतें है की सरकार ने किसान आयोग और बाल संरक्षण आयोग, महिला आयोग में कई नियुक्तियां की हैं, अध्यक्ष, उपाध्यक्ष आदि की और ये सारी नियुक्तियां आचार संहिता लागू होने के बाद की गई हैं। क्या ऐसा किया जा सकता है? क्या यह नैतिक आधार पर तो छोड़िए नैतिक आधार तो उचित है, क्या ये आचार संहिता का खुला उल्लंघन नहीं है? धज्जियां उड़ रही हैं। 57 हैं सब कर सकते हैं, वाह रे सत्ता के घमंड।
आरोप 2 – अब रहस्य समझ में आया कि क्यों आबकारी कमिश्नर को हटाया गया? आबकारी कमिश्नर यदि रहते तो सरकार एक ऐसा शासनादेश जिसमें करोड़ों रुपए का खेल हुआ है, नहीं कर पाती। वह शासनादेश आचार संहिता लागू होने के बाद किया गया है, आबकारी विभाग में किया गया है, जिसके जरिए जो उच्च स्पेसिफाइड मदिरा है, उसके विक्रय के लिए कई नियमों को शिथिल करते हुए लोगों को उपकृत किया गया है और सरकार भी उपकृत हुई है।
आरोप 3 – कोऑपरेटिव बैंकों में अब भी नियुक्तियां जारी हैं, हरिद्वार से विरोध आया तो नियुक्तियां रुकी और अब पिछले दरवाजे से नियुक्तियां करने की कोशिश हो रही है। मुझे भरोसा है कि चुनाव आयोग इसका संज्ञान लेगा।
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