देहराहून – तीरथ सिंह रावत ने पिछले 24 घंटों में दो बार भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष जेपी नड्डा से मुलाकात कर चुकें हैं ऐसे में कयास लगाया जा रहा है की उत्तराखंड की राजनीती में कोई बड़ी हलचल होने वाली है. आपको बताते चलने की तीरथ सिंह रावत को सीएम बने अभी मात्र चार माह ही गुजरें हैं ऐसे में राजनीति पंडितों के गलियारों में अटकलों का सिलसिला आम हो चला है.
तीरथ सिंह रावत के इस्तीफे की अटकलें इसलिए लग रही हैं क्योंकि उनको अपने पद पर बने रहने के लिए 10 सितंबर तक विधानसभा चुनाव जीतना होगा, यह संवैधानिक बाध्यता है। रावत फिलहाल पौड़ी लोकसभा सीट से सांसद हैं। त्रिवेंद्र सिंह रावत को हटाए जाने के बाद उन्हें 10 मार्च को मुख्यमंत्री बनाया गया था।
उत्तराखंड में अटकलें लगाई जा रही हैं कि रावत गढ़वाल क्षेत्र में स्थित गंगोत्री सीट से उपचुनाव लड़ सकते हैं। राज्य में विधानसभा की दो सीटें गंगोत्री और हल्द्वानी खाली हैं जहां उपचुनाव होना है। अगले साल फरवरी-मार्च में ही विधानसभा चुनाव होने हैं, ऐसे में उपचुनाव कराने का फैसला निर्वाचन आयोग पर ही निर्भर करता है।
नड्डा से मुलाकात के बाद रावत ने कहा कि मैंने बीजेपी अध्यक्ष से आगामी विधानसभा चुनाव की तैयारियों को लेकर चर्चा की है। उपचुनाव के संबंध में जब सवाल पूछा गया तो उन्होंने कहा कि यह विषय निर्वाचन आयोग का है और इसके बारे में कोई भी फैसला उसे ही करना है। उन्होंने कहा कि पार्टी का केंद्रीय नेतृत्व इस बारे में जो भी रणनीति तय करेगा उसे आगे धरातल पर उतारा जाएगा।
मुख्यमंत्री रावत बुधवार को अचानक दिल्ली पहुंचे थे। गुरुवार देर रात उन्होंने नड्डा और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात की थी। भाजपा विधायक गोपाल सिंह रावत का इस वर्ष अप्रैल में निधन होने से गंगोत्री सीट खाली हुई है, जबकि कांग्रेस की वरिष्ठ नेता इंदिरा हृदयेश के निधन से हल्द्वानी सीट खाली हुई है। हालांकि अभी तक चुनाव आयोग ने उपचुनाव की घोषणा नहीं की है। कोरोना काल में चुनाव कराने को लेकर निर्वाचन आयोग को पिछले दिनों अदालत की सख्त टिप्पणियों का सामना करना पड़ा था।