नशा मुक्ति केंद्रों की लापरवाही अपने चरम पर है। उत्तराखंड में मौजूद नशा मुक्ति केंद्र में कर्मचारियों की हरकतें सुनकर आप भी हैरान रह जाएंगे। न ही यहां पर मरीजों को अच्छे से ट्रीट किया जाता है और न ही म’रने के बाद भी उनकी इज़्ज़त की जाती है। ऐसा ही कुछ चंद्रबनी स्थित एक नशा मुक्ति केंद्र के कर्मचारियों ने किया। उन्होंने बेश’र्मी और लापरवाही की सभी हदों को पार कर दिया। यहां एक 24 वर्षीय युवक की मौ’त के बाद हंगामा हो गया। उसके परिजनों को सूचित करने की बजाय केंद्र का स्टाफ मृ’तक के शव को घर के बाहर छोड़कर चला गया। बताया जा रहा है कि युवक 23 मार्च से अराधिया फाउंडेशन में भर्ती था। मृ’तक के शव पर पर चोटों के निशान भी हैं। क्लेमेनटाउन पुलिस ने केंद्र के कर्मचारियों से पूछताछ शुरू कर दी है।
यहां सिक्योरिटी का भी ख्याल नहीं रखा जाता है। हरिद्वार रोड स्थित नशामुक्ति केंद्र से 14 मरीज फरार हो गए। घटना उस समय हुई जब कुछ मरीज सहरी खाने के लिए उठे थे। मरीजों के लापता होने से प्रबंधन में हड़कंप मच गया। दरअसल सिविल लाइंस कोतवाली क्षेत्र के हरिद्वार रोड पर बेलड़ा गांव के पास एक नशामुक्ति केंद्र है। नशामुक्ति केंद्र में करीब 14 मरीजों का नशा की लत छुड़ाने के लिए उपचार चल रहा था। इनमें कुछ मरीजों ने रोजा भी रखा था। रोजा रखने वाले मरीजे सुबह चार बजे उठ जाते थे। इनके साथ अन्य मरीज भी उठ जाते थे। नशामुक्ति केंद्र के कर्मचारी रोजेदारा मरीजों के लिए सहरी का प्रबंध करते थे। पिछले कुछ समय से यह सिलसिला चल रहा था, जिसके चलते कर्मचारी इन मरीजों की तरफ से निश्चिंत हो गए थे और इनकी निगरानी भी कम कर दी थी। रविवार की सुबह चार बजे मरीज सहरी के लिए उठ गए, जबकि सभी कर्मचारी सोते रहे।इसका फायदा उठाते हुए सभी मरीज नशामुक्ति केंद्र से भाग गए। सुबह करीब छह बजे जब कर्मचारी सो कर उठे तो उनके होश उड़ गए। जब उनके परिजनों से संपर्क साधा तो पता चला कि सभी मरीज अपने-अपने घर चले गए हैं।