हल्द्वानी – सोशल मीडिया पर आनंद रावत अपनी बेबाक राय और मुखर अंदाज़ को लेकर प्रसिद्ध हैं तथा ज्वंलत मुद्दों पर भी अपनी राय रखतें रहतें हैं. महिलाओं के सामा और प्रतिष्ठा को लेकर आनंद आपने लेख में उन महिलाओं की प्रशंसा कर रहे हैं जिनकी बदौलत हल्द्वानी शहर आज एक अलग पहचान रखता है. पढ़िए
तीलू रौतेली पुरस्कार उत्तराखंड की महिलाओं के जज़्बे और समाज में योगदान के लिए दिया जाता है, चयनित सभी महिलाओं को हार्दिक शुभकामनाएँ ।
महिलाओं की हिम्मत और जज़्बे की कोई सीमा नहीं होती है, घर की दहलीज़ से लेकर अंतरिक्ष की उड़ान तक……
Facebook के माध्यम से बहुत सी महिलाओं के संघर्ष और समाज में योगदान देखने को मिलता है । उनके जुनून और लक्ष्य के प्रति समर्पण बहुत प्रेरणदायक है ।
हल्द्वानी में किसी को ब्लड की आवश्यकता हो, तो पहला नाम ज़हन में प्रतिभा बिष्ट जी का आता है, वो Haldwani online ग्रूप से जुड़ी है, और ब्लड की व्यवस्था कराने में “ one Woman army “ की तरह काम करती है । मेरी उनसे मुलाक़ात नहीं है, बस फ़ोन पर बात हुई है, रक्तदान से लेकर रक्त की व्यवस्था कराने तक । जनसेवा के लिए उनकी तड़फ, अनुकरणीय है ।
आज के समय में पॉलीथिन, प्लास्टिक और कूड़ा निस्तारण बहुत बड़ी चुनौती है । हल्द्वानी, बिठौरिया निवासी रेवती कांडपाल जी का जज़्बा उनकी उम्र का मात देता है । कूड़ा निस्तारण के लिए लोगों को जागरूक करना सबसे टेडी खीर है, लोग कूड़े को अपनी सुविधा अनुसार यहाँ-वहाँ फेंकते है । रेवती जी ने देर रात तक कूड़ा फेकने वाली जगह पर पहरा दिया और लोगों को कूड़ा दान का महत्व समझाया । रेहडी, पटरी वालों को पॉलीथिन के उपयोग के दुष्परिणाम व लोगों को कपड़े के थैले बाँटे । उनका ये प्रयास उम्र के इस पड़ाव तक जारी है ।
गुलमोहर गर्ल तनुजा जोशी जी हल्द्वानी शहर को गुलमोहर के पेड़ लगा कर खूबसूरत बनाने में लगी है, गुड्डू बिष्ट कुमाऊं के सबसे बड़े कालेज एम बी पी जी में हर साल अपने खर्चे पर छात्रा उपाध्यक्ष का चुनाव लड़ा कर समाज को महिला नेत्रियाँ दे रही है ।
तनुजा मेलकनी जी महिला स्वयं सहायता समूह व महिला सशक्तिकरण पर काम कर रही है, विध्या महतोलिया जी कुमाऊंनि भाषा व शान्ति जीना जी महिला जागरूकता को बढ़ा रही है । कुछ नन्ही कोंपलें दिव्यानी गाबा, कीर्ति तिवारी जोशी, नमिता सुयाल व मीमांशा आर्य के रूप में भी दिख रही है ।
सूची बहुत लम्बी है, मीना शुभम अण्डोला जी की जीवन के प्रति सकरात्मकता, आशा शुक्ला जी की जिजीविषा, नीलम नील पांडेय, मंजु उदिता पांडेय जी व गुंजन जोशी जी की कविताएँ ।
Facebook पर हमेशा केवल अपनी ही नहीं कहनी चाहिए, कभी कभी दूसरों का भी संज्ञान लेना चाहिए ।