देहरादून/किच्छा। प्राइवेट अस्पतालों की कोरोना महामारी के इलाज के नाम पर लूट-खसूट पर विधायक राजेश शुक्ला ने चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग के सचिव से देहरादून में मुलाकात की। विधायक शुक्ला ने इन प्राइवेट अस्पतालों में लिये गये भुगतान की जांच कराने की भी मांग की।
मुलाकात के दौरान उन्होंने कहा कि प्रदेश के तमाम प्राइवेट अस्पताल कोरोना महामारी संकट के दौरान अस्पतालों में बेड उपलब्ध कराने, रेमडेसिविर इंजेक्शन दिलवाने सहित इलाज के नाम पर एक-एक मरीज से कई-कई लाख रुपये का बिल वसूल कर रहे हैं। यही नहीं कुछ जगहों से यह शिकायते भी मिली हैं कि बिल का भुगतान नहीं करने पर अस्पताल प्रबंधन मरीजों को छुट्टी भी नहीं दे रहा ।
इसके अतिरिक्त कोरोना संक्रमण से ग्रसित मरीजों को प्रारंभ में थोड़ा बहुत उपचार देने के बाद जब मरीज की स्थिति गंभीर हो जाती है तो उसे रेफर करने का काम भी इन प्राइवेट अस्पतालों द्वारा किया गया। जिस कारण कई बार मरीज गंभीर अवस्था में सरकारी अस्पताल पहुंचे। जो उनकी मौत का कारण भी बना। कई मामलों में यह देखा भी गया है कि प्राइवेट अस्पतालों में इलाज कराने के बाद गंभीर रोगियों की सरकारी अस्पताल में मौत हो गई। जिससे इन सरकारी अस्पतालों में कोरोना से मरने वालों का ग्राफ बढ़ गया। इसके अलावा इन प्राइवेट अस्पतालों की मनमानी के कारण नियमों की धज्जियां भी उड़ाई गईं।
गरीब और असहाय लोगों ने जब आयुष्मान कार्ड पर इलाज कराने की बात की तो प्राइवेट अस्पताल के हेल्प डेस्क द्वारा उसे मान्य नहीं होना बताया गया। इससे साफ है कि इन प्राइवेट अस्पतालों ने खुद का पैसा बनाने के चक्कर में ना सिर्फ मरीजों की जान के साथ खिलवाड़ किया बल्कि सरकारी अस्पतालों को बदनाम भी करवाया। ऐसे में शासन के उच्च अधिकारियों या किसी मजिस्ट्रेट से कोरोना संकट के दौरान इलाज के नाम पर इन प्राइवेट अस्पतालों द्वारा की गई खुली लूट की जांच विधिवत कराई जाये। ताकि ऐसे दोषियों को सजा मिले जो इस संकट के दौर में भी ज्यादा-ज्यादा पैसा बनाने से नहीं चूक रहे थे।