अब तक आपने फ़ूड ऑन व्हील्स जैसी चीज़ का नाम तो बहुत बार सुना होगा। ‘फ़ूड ऑन व्हील्स’ से आप समझते होंगे एक चलता फिरता रेस्टुरेंट। यानी कि गाडी के अन्दर खाना तैयार करके आपको सर्व किया जाता है और आप वही पर वो खाना खाते है जहाँ पर वो गाडी मौजूद होती है। इस तरह की फ़ूड वैन आपको बहुत जगह मिलती होगी, आज यहाँ तो कल वहां। लेकिन क्या कभी आपने ‘स्टडी ऑन व्हील्स’ सुना है? जी हाँ पहली बार सुनने में आ रहे यह शब्द जितने बड़े है उनसे कहीं ज्यादा बड़ा है इस योजना के पीछे का कारण। जैसा कि देश में तमान ऐसे गरीब और लाचार बच्चे मौजूद है जो पढाई तो करना चाहते है लेकिन गरीबी के या फिर पारिवारिक उलझनों के कारण पढ़ नहीं पाते है। इस खबर में हम बात कर रहे है उन मासूम श्रमिक बच्चो की जो अपने परिवार के साथ निर्माण स्थलों पर मजदूरी करने जाते हैं। पति-पत्नी मजदूरी करते हैं और उनके बच्चे दिनभर वहीं धूल-मिट्टी में खेलते रहते हैं।
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इसी उलझन व मजबूरी को देखते हुए उत्तराखंड में श्रम विभाग की ओर से एक ऐसी योजना का निर्माण किया गया है जिसमे इस ‘एजुकेशन ऑन व्हील्स’ यानी की चलता-फिरता स्कूल जिसमे शिक्षक खुद स्कूल बस में जायेंगे और श्रमिक बच्चो को शिक्षा प्रदान करेंगे। एजुकेशन ऑन व्हील के तहत प्रदेशभर में शिक्षा विभाग और स्वयंसेवी संस्था की मदद से ऐसी बसें संचालित की जाएंगी जो निर्माण स्थलों के आसपास और श्रमिकों की बस्तियों में जाएंगी। बस में मौजूद शिक्षक श्रमिकों के बच्चों को वहीं पढ़ाएंगे। इतना ही नहीं परीक्षा लेने के बाद शिक्षा विभाग उन्हें सर्टिफिकेट भी जारी करेगा। इसके लिए श्रम विभाग ने शिक्षा विभाग और एक स्वयंसेवी संस्थान के साथ समझौता किया है।
श्रम विभाग की ओर से प्रदेशभर में ऐसे निर्माण स्थल चिह्नित किए जा रहे हैं, जहां मजदूर पति-पत्नी काम करते हैं। साथ ही ऐसी बस्तियों का भी चयन किया जा रहा है जहां श्रमिकों के बच्चे घर पर ही रहते हैं। हर जिले में ऐसे स्थानों का चिह्नीकरण करने के बाद विभाग की ओर से बसें पहुंचाई जाएंगी। इन बसों में एक ओर जहां पूरी अध्ययन सामग्री होगी तो दूसरी ओर शिक्षक भी होंगे। हर बच्चे का पंजीकरण करने के बाद उन्हें स्कूलों की भांति ही पढ़ाया जाएगा।