देहरादून: उत्तराखंड में कांग्रेस का जनाधार घट रहा है। पार्टी अपनी सियासी जमीन खोती जा रही है। बीजेपी ने पहले कांग्रेस को 2017 और फिर 2022 के चुनाव में पटखनी दी।
साल 2019 के लोकसभा चुनाव और निकाय चुनाव में भी बीजेपी ने कांग्रेस को करारी शिकस्त दी। प्रदेश में कांग्रेस की स्थिति ठीक नहीं है, अब बीजेपी को टक्कर देने के लिए कांग्रेस ने छोटे दलों को साथ लेकर चलने का प्लान बनाया है। मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस छोटे-छोटे दलों को जोड़कर बीजेपी को टक्कर देने की रणनीति तैयार कर रही है। कांग्रेस उन दलों के नेताओं संग बातचीत कर रही है, जिनका प्रदेश में फिलहाल कोई जनाधार नहीं है। ऐसे में यह सवाल भी उठ रहा है कि क्या कांग्रेस अपने दम पर बीजेपी का मुकाबला करने में सक्षम नहीं है। कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा ने हाल में सर्वदलीय बैठक बुलाई, इसमें सीपीआई, भाकमा माले और सीपीआईएम के पदाधिकारी शामिल हुए, लेकिन सपा-बसपा के प्रतिनिधियों को नहीं बुलाया गया।
क्षेत्रीय पार्टी उत्तराखंड क्रांति दल को भी बैठक का न्योता नहीं दिया गया था। कांग्रेस छोटे दलों के साथ मिलकर बीजेपी संगठन और सरकार पर सवाल उठा रही है। कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा ने कहा कि सभी दलों को एक साथ मिलकर आगे आना चाहिए, क्योंकि अब जरूरत है कि एक साथ खड़ा हुआ जाए। बीजेपी को लोकतंत्र पर भरोसा नहीं है। यही वजह है कि पिछले 9 सालों में जनता द्वारा अलग-अलग राज्यों में चुनी हुई 10 सरकारों को गिरा दिया गया। सभी विपक्षी दलों को एक होकर देश-प्रदेश के अहम मुद्दों को लेकर जनता को जागरुक करना चाहिए। उत्तराखंड में हर चुनाव में बुरी तरह हार का सामना कर चुकी कांग्रेस अब प्रदेश से जुड़े मुद्दों को लेकर सड़कों पर उतरने जा रही है। जिसमें छोटे संगठनों की भी अहम भूमिका होगी।