देहरादून: उत्तराखंड के कई स्कूलों में शिक्षकों की कमी है, तो वहीं कुछ स्कूल ऐसे भी हैं जहां छात्र नहीं हैं, लेकिन शिक्षक फिर भी हर दिन ड्यूटी पर पहुंच रहे हैं।
इस समस्या के समाधान के लिए राज्य सरकार ने एक सॉलिड प्लान बनाया है। राज्य सरकार प्रदेश के करीब 1000 बेसिक और माध्यमिक स्कूलों को सेंटर ऑफ एक्सीलेंस के रूप में विकसित करेगी। इन स्कूलों के 1 से 5 किलोमीटर के दायरे में आने वाले स्कूलों से शिफ्ट होने वाले छात्रों को हर रोज किराये के तौर पर सौ रुपये दिए जाएंगे। शिक्षा महानिदेशालय ने सरकार को प्रस्ताव भेज दिया है। इन सेंटर ऑफ एक्सीलेंस के साथ प्रदेश भर में करीब 2300 स्कूल जुड़ेंगे।
डीजी शिक्षा बंशीधर तिवारी ने कहा कि छात्रों को स्कूल आने-जाने के लिए एस्कॉर्ट देने पर तो सहमति बन चुकी थी, अब किराए की राशि भी तय कर ली गई है। छात्रों को हर रोज सौ रुपये का भुगतान किए जाने के बावजूद राज्य सरकार काफी पैसा बचाएगी।
वो ऐसे क्योंकि वर्तमान में हर स्कूल में 2 शिक्षकों की नियुक्ति अनिवार्य है, जिस पर कम से कम 1.20 लाख रुपये का खर्चा आता है। विद्यालय के रखरखाव पर भी काफी खर्चा होता है। योजना के पहले चरण में सेंटर ऑफ एक्सीलेंस 5-10 छात्र संख्या वाले स्कूलों के बीच बनाए जाने हैं। अगर किसी स्कूल के 10 छात्रों को भी सौ रुपये रोज दिए जाते हैं तो हर महीने अधिकतम खर्चा 24 हजार रुपये तक ही आएगा। अभी कई जगह पर कक्षा पांच तक सिर्फ दो ही शिक्षक सेवाएं दे रहे हैं।
नई व्यवस्था के तहत हर कक्षा में एक शिक्षक की तैनाती की जाएगी। सेंटर ऑफ एक्सीलेंस के रूप में स्कूलों में बुनियादी शिक्षा को बेहतर किया जाएगा। पूर्व के स्कूलों के शिक्षकों और संसाधनों का भी सेंटर ऑफ एक्सीलेंस में इस्तेमाल किया जाएगा। डीजी शिक्षा बंशीधर तिवारी ने कहा कि सरकार को योजना का प्रस्ताव दे दिया गया है। सेंटर ऑफ एक्सीलेंस के रूप में सरकारी स्कूल प्राइवेट स्कूलों के समान विकसित हो सकेंगे। इससे शिक्षा व्यवस्था बेहतर बनाने में मदद मिलेगी।