अक्सर राजनीति में पक्ष-विपक्ष की मुलाकाते तो चलती रहती है। लेकिन कई बार कुछ मुलाकाते कुछ ऐसी गलत परिस्थितयो में हो जाती है की वह खुद ब खुद सियासी बाज़ार में चर्चा का मुद्दा बन के रह जाती है। आपको बता दें कि कांग्रेस विधायक प्रीतम सिंह पर गुटबाजी का आरोप लगाया जा रहा है। साथ ही यह आरोप भी लगाया जा रहा है कि प्रीतम सिंह द्वारा गुटबाजी की गई तभी कांग्रेस को हार का सामना करना पड़ा है। दरअसल रविवार की शाम को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और कांग्रेस विधायक प्रीतम सिंह की मुलाक़ात हुई थी। दोनों के बीच हुई मुलाकात से ठीक पहले कांग्रेस आला कमान ने प्रदेश अध्यक्ष, नेता और उपनेता प्रति पक्ष के नामों का एलान किया था।
प्रीतम सिंह का खेमा यशपाल आर्य, भुवन कापड़ी, करण माहरा को तवज्जो देने से ही भड़क उठा। कई लोगों के इस्तीफों ने प्रीतम खेेमे की नाराजगी पर मुहर भी लगा दी। पहले तो कांग्रेस खेमे में पदों की हलचल और ऊपर से प्रीतम सिंह और पुष्कर सिंह धामी की उसी दौरान की गई मुलाक़ात ने अपने आप में ही कई चर्चाओं को बुलावा दे दिया है। अब प्रीतम सिंह को लेकर हो रही चर्चा में यह भी सुनने को मिल रहा है की पार्टी में अपनी रुसवाई से क्षुब्ध प्रीतम अपने और अपनों के लिए सियासी विकल्प तलाश रहे हैं। इन आरोपों से आहत प्रीतम सिंह ने अपना बयान देते हुए कहा कि यदि विधानसभा में पार्टी गुटबाजी के कारण हारी है तो केंद्रीय नेतृत्व जांच कराए। उन्होंने कहा कि जांच में अगर दोषी पाया जाता हूं तो मुझे विधायक पद से इस्तीफा दे देना चाहिए। बतौर प्रीतम मेरे पास विकल्प है। चकराता की जनता ने मुझे चुनकर भेजा है। मैं उनके विधायक के रूप में काम कर रहा हूं।