जहाँ उत्तराखण्ड में पलायन अपने चरम पर है , वही अब सरकार की अथिति होम स्टे योजना भी धीरे-धीरे रफ़्तार पकड़ रही हैं। कुछ दिन पहले ही हमने आपको उत्तरकाशी के रैथल गांव के दस बेरोजगार युवाओ की होम स्टे योजना की मिशाल से रूबरू कराया था , जिन्होंने होम स्टे अपनाकर अपने घर में ही अच्छा खाशा रोजगार पा लिया और हर माह 20 से 30 हजार रुपये की कमाई कर रहे हैं।
आज हम आपको टिहरी गढ़वाल जिले के देवप्रयाग तहसील के लालूरी गांव की होम स्टे योजना से रूबरू करायेंगे जहाँ दो स्पेन की लड़किया मेहमान बनकर पहाड़ में रह रही है। आज हम आपको टिहरी गढ़वाल जिले के देवप्रयाग तहसील के लालूरी गांव की होम स्टे योजना (homestay in uttarakhand) से रूबरू करा रहे है , जहाँ दो स्पेन की ये लड़किया मेहमान बनकर जब लालूरी गांव पहुँचती है तो सबसे पहले गृह स्वामिनी उनका पहाड़ी रीती रिवाज से घर में स्वागत करती है, और फिर अपने हाथ से बना पहाड़ी भोजन उन्हें परोसती है।
मारिया कहती है की यहाँ के लोग बहुत सीधे है, और बहुत ही सोम्य आदत के है।आज हम आपको टिहरी गढ़वाल जिले के देवप्रयाग तहसील के लालूरी गांव की होम स्टे योजना (homestay in uttarakhand) से रूबरू करा रहे है , जहाँ दो स्पेन की ये लड़किया मेहमान बनकर जब लालूरी गांव पहुँचती है तो सबसे पहले गृह स्वामिनी उनका पहाड़ी रीती रिवाज से घर में स्वागत करती है, और फिर अपने हाथ से बना पहाड़ी भोजन उन्हें परोसती है। मारिया कहती है की यहाँ के लोग बहुत सीधे है, और बहुत ही सोम्य आदत के है।
उत्तराखण्ड के सुदूरवर्ती ग्रामीण क्षेत्रों में कई ऐसे पर्यटक स्थल अवस्थित है, जो कि अपनी नैसर्गिक छटा एवं सांस्कृतिक विरासत को अपने में समेटे हुये हैं, किन्तु उन स्थलों पर पर्यटकों हेतु उचित आवास एवं खान-पान की सुविधा न होने के कारण वे इन पर्यटक स्थलों का आनन्द लेने से वंचित रह जाते है। अतिथि उत्तराखण्ड गृह आवास (homestay in uttarakhand) नियमावली के माध्यम से राज्य के शहरी क्षेत्रों के साथ-साथ दूरस्थ पर्यटक क्षेत्रों में पर्यटकों को आकर्षित करने हेतु, स्तरीय आवासीय सुविधा बढ़ाने, स्थानीय स्तर पर स्वरोजगार के अवसर उपलब्ध कराने तथा भवन स्वामियों को अतिरिक्त आय का स्त्रोत उपलब्ध कराये जाने के उद्देश्य से अतिथि उत्तराखण्ड गृह आवास (होम स्टे) नियमावली तैयार की जा रही है।