हिम्मत, हौसला और जज्बा ही कहेंगे कि बागेश्वर के जैनकरास की ममता जोशी कुमाऊं की दूसरी टैक्सी चालक बन गई हैं। महिला के हौसले को लोगों की खूब तारीफ मिल रही है। कुछ महीने पहले रानीखेत की रेखा पांडे टैक्सी चलाने को लेकर चर्चा में आईं थीं। रेखा ने उत्तराखंड की पहली महिला टैक्सी चालक का खिताब अपने नाम किया।
अमूमन पहाड़ में महिला यात्री परिवहन के क्षेत्र में कदम नहीं रखती हैं। बागेश्वर तहसील के जैनकरास निवासी ममता जोशी ने यात्री परिवहन के क्षेत्र में कदम रखकर पहाड़ की अन्य बेरोजगार महिलाओं के लिए प्रेरणा बनी हुई हैं। ममता इसी माह की शुरूआत से टैक्सी चला रही हैं।
महिला को टैक्सी चलाते हुए देखकर हर कोई चर्चा कर रहा है। ममता जैनकरास-बागेश्वर, बागेश्वर-काफलीगैर, बागेश्वर-अल्मोड़ा रूट पर टैक्सी चला रही हैं। सवारियां भी बेझिझक ममता की ड्राइविंग का लुत्फ उठा रहे हैं। ममता ओम शांति टूर एंड ट्रैवल्स नाम से टैक्सी का संचालन करती हैं।
29 वर्षीय ममता हर रोज सुबह अपने गांव जैनकरास से बागेश्वर, बागेश्वर से काफलीगैर तक टैक्सी चलातीं हैं। उन्होंने बताया कि एक दिन में जैनकरास से बागेश्वर तक के तीन फेरे हो जाते हैं। बागेश्वर से अल्मोड़ा के लिए जिस दिन उनके वाहन का नंबर आ गया, उस दिन अल्मोड़ा तक सवारियां ले जाती हैं। बागेश्वर से अल्मोड़ा के लिए सुबह से दोपहर 12 बजे तक बागेश्वर की टैक्सियां सवारी ढोती हैं। दोपहर 12 बजे बाद अल्मोड़ा की टैक्सियां बागेश्वर से अल्मोड़ा के लिए सवारी ढोती हैं। वाहनों के हिसाब से अल्मोड़ा के लिए नंबर आता है। एक वाहन का कई दिन बाद भी नंबर पड़ता है। फिलहाल ममता किसी भी रूट में टैक्सी चलाने के लिए तैयार हैं।
पति की बीमारी ने दिया टैक्सी चालक बनने का हौसला
ममता जोशी को पति सुरेश चंद्र जोशी की बीमारी ने टैक्सी चालक बनने का हौसला दिया। ममता जोशी ने बताया कि उनके पति सुरेश चंद्र जोशी कोविड लॉकडाउन से पहले अल्मोड़ा में एक मीडिया प्रतिषठान में काम करते थे। लॉकडाउन में उन्होंने नौकरी छोड़ दी। वर्ष 2021 में बैंक से ऋण लेकर टैक्सी खरीदी। अचानक पति की तबीयत खराब हो गई। वह कई महीनों तक बीमार रहे।
चार महीने टैक्सी खड़ी रही। बैंक की किश्त भी नहीं दे पाए। तमाम दिक्कत आने लगी। पिछले साल यानि कि वर्ष 2022 में उन्होंने पति से विचार-विमर्श कर टैक्सी चलाने की ठानी। मई 2022 से उन्होंने पति से वाहन चलाने का प्रशिक्षण लेना शुरू किया। कुछ ही समय में वाहन चलाने लगीं, लेकिन लाईसेंस न बना होने के कारण टैक्सी नहीं चला पाईं।
उन्होंने इस दौरान भी प्रशिक्षण लेना जारी रखा। बीते 8 मई को उनका लाइसेंस बन गया। तब से वह नियमित रूप से टैक्सी चला रही हैं। शुरूआत में पति साथ आते थे। अब वह अकेले भी पूरी सिद्धत के साथ टैक्सी चला लेती हैं। कहती हैं कि टैक्सी चलाने में किसी तरह की दिक्कत महसूस नहीं होती। परिवारजनों के साथ ही यात्रियों का पूरा सहयोग उन्हें मिल रहा है। ममता इंटर तक पढ़ी हैं।