
कर्नाटक के गोकर्ण के पास जंगलों के बीच एक गुफा में 40 वर्षीय रूसी महिला नीना कुटीना अपनी दो छोटी बेटियों के साथ रह रही थीं। 11 जुलाई को कुमटा तालुक की रामतीर्थ पहाड़ियों में उन्हें रेस्क्यू किया गया। इस दौरान उनकी बेटियां प्रेया (6 साल) और अमा (4 साल) भी उनके साथ थीं।
नीना ने अधिकारियों को बताया कि वह बीते दो हफ्तों से गुफा में प्रकृति के साथ शांत, कलात्मक और आत्मनिर्भर जीवन बिता रही थीं। हालांकि उनका वीजा 2017 में ही खत्म हो गया था, जिसके चलते अब उन्हें रूस डिपोर्ट करने की तैयारी की जा रही है। लेकिन नीना का कहना है कि वह रूस नहीं लौटना चाहतीं।
गुफा में सादा लेकिन सुखद जीवन
नीना ने अपने जीवन के बारे में बताया –
“हम सूरज के साथ उठते थे, पास की नदी में नहाते थे, और प्राकृतिक माहौल में रहते थे। मैं खुद खाना बनाती थी – कभी आग जलाकर, तो कभी गैस सिलेंडर से। गांव से कुछ सामान ले आती थी। हम पेंटिंग करते, किताबें पढ़ते और गाना गाते थे। ये सब शांति और आनंद से भरा था।”
बच्चों को बिना डॉक्टर के दिया जन्म
नीना ने बताया कि वह चार बच्चों की मां हैं, और सभी बच्चों को उन्होंने बिना अस्पताल या डॉक्टर की मदद के खुद ही जन्म दिया।
“पिछले 15 सालों में मैं लगभग 20 देशों में घूम चुकी हूं। मेरे सभी बच्चों का जन्म अलग-अलग देशों में हुआ है। मैं जानती हूं कि यह सब कैसे करना है, मैंने हर बार खुद ही सब किया।”
उन्होंने बताया कि नौ महीने पहले उनके एक बेटे की मौत हो गई थी, जिसकी राख भी उनके पास थी, लेकिन रेस्क्यू के दौरान वह भी ले ली गई।
बच्चों को खुद पढ़ाती थीं नीना
नीना पेशे से एक कला और साहित्य की शिक्षिका हैं। वह अपनी बेटियों को खुद ही घर पर पढ़ाती थीं।
“मेरी बेटियां बहुत समझदार, स्वस्थ और रचनात्मक हैं। वे स्कूल नहीं गई हैं, लेकिन मैं उन्हें होम स्कूलिंग के ज़रिए पढ़ा रही हूं।”
कैसे चलाती थीं खर्चा?
नीना ने कहा कि वह पेंटिंग, म्यूजिक वीडियो, टीचिंग और बेबीसिटिंग करके पैसे कमाती थीं। जब काम नहीं होता था तो उनके भाई, पिता या बेटा आर्थिक मदद कर देते थे।
“हमारे पास हमेशा अपनी जरूरतें पूरी करने के लिए पर्याप्त पैसे रहते थे। हम अपनी मर्जी से जंगल में रह रहे थे, किसी पर बोझ नहीं थे।”
“अब रह रहे हैं असुविधा में”
नीना ने रेस्क्यू के बाद की स्थिति को लेकर नाराज़गी जताई। उन्होंने कहा –
“हमें जिस जगह पर रखा गया है, वह गंदा है, वहां कोई प्राइवेसी नहीं है और खाने में केवल सादा चावल दिया जा रहा है। हमारे निजी सामान ले लिए गए, यहां तक कि मेरे बेटे की राख भी।”