देहरादून
चुनाव के दौरान किया गया प्रचार-प्रसार कहीं न कहीं हर क्षेत्र से भारी मात्रा में मतदान होने का अनुमान लगा रहा था लेेकिन चुनाव प्रक्रिया खत्म होने के बाद काफी चौकाने वाली हकीकत सामने आई। चुनाव के बाद सामने आया कि सबसे ज्यादा पढ़े-लिखे लोगो की आबादी वाले जिलो में ही सबसे कम मतदान किया गया जिसका मुख्य कारण पलायन बताया जा रहा है। कोरोना महामारी व लाॅकडाउन के चलते भारी जनसंख्या अपने घर लौटी लेकिन कोरोना आँकड़ों में गिरावट के बाद एक बार फिर भारी संख्या में आबादी रोजगार व शिक्षा के लिए वापस शहरो की ओर पलायन कर गए जिसके चलते वह अपने ही क्षेत्र में मतदान न कर सके।
शुरुआती दौर से ही पलायन एक बहुत ही गंभीर समस्या के रूप में सामने आती रही है जिसका असर पहाड़ी क्षेत्रों में सबसे ज्यादा देखने को मिला है।अब तक पलायन केवल आम लोगो की ही ज़िंदगी में परेशानी का कारण नज़र आता था और शायद इसिलिए इसे इतनी गंभीरता से कभी सुलझाने की कोशिश नहीं की गई लेकिन अब चूंकि इसका सीधा असर भारी मात्रा में गिरते मतदान में देखने को मिला है तो अब पलायन का मुद्या काफी गंभीरता से लिया जा रहा है। अलमोड़ा विधानसभा में सबसे कम 44 फीसदी मतदान व दूसरे नंबर पर पौड़ी की चौबट्टाखाल विघानसभा में 44.27 फिसदी मतदान हुुआ जो कि बहुत ही कम है। बताया जा रहा है कि चुनाव शुरु होने से पहले ही लोग प्रदेश से बाहर काम करने चले गए थे। जो की पहाड़ी क्षेत्र में बेरोजगारी की समस्या की तरफ भी निशाना साध रहा है।
पूर्व श्क्षिा सचिव एम सी जोशी का कहना है कि इतना साक्षर जिला होेने के बावजूद भी इतना कम मतदान होना मतदाताओं के बीच निराशा का भी कारण है जिसने प्रत्याशियो के बीच काफी गंभीर माहोल पैदा कर दिया है। पहाड़ी क्षेत्रो का खराब मौसम भी कम मतदान की एक वजह बताया जा रहा जिसके बाद प्रत्याशि भी पलायन की समास्या को कही न कही गभीरता से लेते हुए नज़र आ रहे है ।