
शेख कांथापुरम ए. पी. अबूबकर मुस्लियार, जिन्हें शेख अबूबकर अहमद के नाम से भी जाना जाता है, भारत के वर्तमान और दसवें ग्रैंड मुफ्ती हैं। वे केरल के एक प्रमुख इस्लामी विद्वान, सामाजिक कार्यकर्ता और धार्मिक नेता हैं। वे अखिल भारतीय सुन्नी जमीयतुल उलमा के महासचिव और मार्कज़ुद दावा (जामिया मार्कज़) के संस्थापक और चांसलर हैं। उनकी उम्र 94 वर्ष (2025 तक) है, और वे अपने धार्मिक और सामाजिक योगदान के लिए भारत और विश्व भर में सम्मानित हैं।
प्रारंभिक जीवन और शिक्षा
- जन्म: शेख अबूबकर का जन्म 22 मार्च 1931 को केरल के कोझिकोड जिले के कांथापुरम में हुआ था।
- उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा स्थानीय स्तर पर प्राप्त की और बाद में इस्लामी अध्ययन में गहन रुचि के साथ उच्च शिक्षा प्राप्त की। उनकी शिक्षा का मुख्य केंद्र इस्लामी धर्मशास्त्र, फिक्ह (इस्लामी न्यायशास्त्र), और सुन्नी परंपराओं पर रहा।
- उन्होंने कई प्रसिद्ध इस्लामी विद्वानों से शिक्षा प्राप्त की और अपनी विद्वता के लिए जल्द ही पहचाने जाने लगे।
धार्मिक और सामाजिक योगदान
- मार्कज़ुद दावा (जामिया मार्कज़):
- शेख अबूबकर ने 1978 में केरल के कोझिकोड में मार्कज़ुद दावा की स्थापना की, जो एक प्रमुख इस्लामी शैक्षिक संस्थान है। यह संस्थान इस्लामी और आधुनिक शिक्षा को संयोजित करने के लिए जाना जाता है।
- मार्कज़ ने हजारों छात्रों को शिक्षित किया है और इस्लामी विद्या, सामाजिक सेवा, और सामुदायिक विकास में महत्वपूर्ण योगदान दिया है।
- इस संस्थान ने शिक्षा, अनाथों की देखभाल, और सामाजिक कल्याण के क्षेत्र में कई पहल शुरू की हैं।
- अखिल भारतीय सुन्नी जमीयतुल उलमा:
- शेख अबूबकर इस संगठन के महासचिव हैं, जो भारत में सुन्नी मुस्लिम समुदाय के हितों को बढ़ावा देता है और धार्मिक एकता को प्रोत्साहित करता है।
- उन्होंने इस संगठन के माध्यम से कई सामाजिक और धार्मिक सुधारों को लागू किया।
- मानवीय कार्य:
- शेख अबूबकर ने कई मानवीय कार्यों में सक्रिय भूमिका निभाई है। उदाहरण के लिए, 2025 में यमन में केरल की नर्स निमिषा प्रिया की फांसी को टालने में उनकी मध्यस्थता महत्वपूर्ण रही। उनकी पहल और भारत सरकार के सहयोग से यमन सरकार ने निमिषा की सजा को स्थगित किया।
- वे विभिन्न धर्मों और समुदायों के बीच संवाद और शांति को बढ़ावा देने के लिए भी जाने जाते हैं।
- अंतरराष्ट्रीय प्रभाव:
- शेख अबूबकर का प्रभाव केवल भारत तक सीमित नहीं है। उन्हें उज्बेकिस्तान के बुखारा शहर में इमाम बुखारी के जन्मस्थान पर सम्मानित किया गया, जो उनके वैश्विक प्रभाव को दर्शाता है।
- वे विश्व भर के मुस्लिम और गैर-मुस्लिम समुदायों द्वारा सम्मानित हैं, जैसा कि X पर कई पोस्ट में उल्लेख किया गया है।
ग्रैंड मुफ्ती के रूप में भूमिका
- नियुक्ति: शेख अबूबकर को 2019 में भारत का ग्रैंड मुफ्ती नियुक्त किया गया, जो देश के सुन्नी मुस्लिम समुदाय के लिए सर्वोच्च धार्मिक प्राधिकरण का पद है।
- वे इस्लामी कानून (शरिया) के तहत फतवे (धार्मिक निर्णय) जारी करते हैं और समुदाय को धार्मिक मामलों में मार्गदर्शन प्रदान करते हैं।
- उनकी नेतृत्व शैली में उदारता और समावेशिता पर जोर दिया जाता है, जिसके कारण वे विभिन्न समुदायों के बीच लोकप्रिय हैं।
व्यक्तिगत विशेषताएँ
- शेख अबूबकर अपनी सादगी और प्रचार से दूरी के लिए जाने जाते हैं।
- वे एक ऐसे धार्मिक नेता हैं जो अपने कार्यों को शांतिपूर्ण और प्रभावी ढंग से करते हैं, जिसके कारण उन्हें “फरिश्ता” जैसे शब्दों से संबोधित किया जाता है।
- उनकी उम्र (94 वर्ष) के बावजूद, वे सामाजिक और धार्मिक गतिविधियों में सक्रिय हैं।
सम्मान और मान्यता
- शेख अबूबकर को उनके शैक्षिक, धार्मिक और सामाजिक योगदान के लिए कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त हुए हैं।
- 2024 में उज्बेकिस्तान में उन्हें इमाम बुखारी के जन्मस्थान पर सम्मानित किया गया।
- उनकी मध्यस्थता और मानवीय कार्यों ने उन्हें विश्व स्तर पर सम्मान दिलाया है।