
राज्य सरकार ने दुष्कर्म की शिकार होकर मां बनने वाली नाबालिग बालिकाओं की जिम्मेदारी उठाने का फैसला लिया है। इस समय राज्य में ऐसी 72 किशोरियां हैं जो दुष्कर्म के बाद गर्भवती हुईं और मां बनीं। इनके लिए सरकार ने एक व्यापक योजना तैयार की है, जिसमें आर्थिक सहायता से लेकर शिक्षा, चिकित्सा और कानूनी मदद तक का प्रावधान है।
सीएम धामी
हर माह मिलेगा 4,000 रुपये का पोषण भत्ता
इस योजना के तहत पीड़िता को 23 वर्ष की आयु तक हर महीने 4,000 रुपये पोषण भत्ता दिया जाएगा। इस दौरान सरकार उसे आत्मनिर्भर बनाने के लिए शिक्षा, कौशल विकास, चिकित्सा सुविधा, कानूनी सहायता और सुरक्षित आवास जैसी जरूरी सेवाएं भी उपलब्ध कराएगी। योजना के तहत राज्य के प्रत्येक जिले को 10 लाख रुपये का बजट दिया गया है। फिलहाल तीन जिलों को एक-एक लाख रुपये की राशि जारी की जा चुकी है।
एकमुश्त मिलेगी 6,000 रुपये की मदद
हर पीड़िता को बाल कल्याण समिति की रिपोर्ट के आधार पर एकमुश्त 6,000 रुपये की आर्थिक सहायता भी दी जाएगी। महिला एवं बाल विकास निदेशक प्रशांत आर्य के अनुसार, यह योजना केंद्र सरकार द्वारा 100 प्रतिशत वित्त पोषित मिशन वात्सल्य योजना के तहत चलाई जा रही है। इसका उद्देश्य पीड़ित किशोरियों और उनके नवजात शिशुओं को दीर्घकालिक सहायता और पुनर्वास प्रदान करना है।
शिशु की देखभाल के लिए विशेष इंतजाम
उप मुख्य परिवीक्षा अधिकारी अंजना गुप्ता ने बताया कि यदि पीड़िता अपने शिशु की परवरिश नहीं कर पाती, तो नवजात को छह वर्ष की आयु तक विशेष दत्तक ग्रहण एजेंसी (SAA) में रखा जा सकता है। आवश्यकता पड़ने पर उसे 18 वर्ष की आयु तक वहीं रखा जा सकता है। यदि पीड़िता शिशु को नहीं रखना चाहती, तो वह उसे शिशुगृह को सौंप सकती है। इसके अलावा जिला बाल संरक्षण इकाई पीड़िता और शिशु का आधार पंजीकरण और जन्म प्रमाण पत्र जारी कराने की प्रक्रिया भी सुनिश्चित करेगी।