भारत ने सोमवार को 2027 एएफसी एशिया कप की मेजबानी से अपना नाम वापस ले लिया है। अखिल भारतीय फुटबॉल महासंघ (एआईएफएफ) ने कहा कि इस समय बड़े टिकट वाले इवेंट की मेजबानी करना उसकी प्राथमिकताओं में नहीं है। भारत ने पहले 2027 एशिया कप की मेजबानी के लिए दावेदारी पेश की थी, लेकिन अब भारत ने अपना नाम वापस ले लिया है। ऐसे में सऊदी अरब इस टूर्नामेंट की मेजबानी के लिए एकमात्र दावेदार है। सऊदी अरब को
पहले ईरान और उज्बेकिस्तान जैसे देशों ने भी इस टूर्नामेंट की मेजबानी में रुचि दिखाई थी, लेकिन ये दोनों देश भी अक्तूबर में मेजबानी की रेस से बाहर हो गए थे। इसके बाद इस टूर्नामेंट की मेजबानी के लिए बोली लगाने वाले देशों में भारत और सऊदी अरब ही बचे थे।
प्रफुल्ल पटेल के एआईएफएफ अध्यक्ष बनने के बाद भारत ने 2020 में बहुत धूमधाम के साथ इस टूर्नामेंट की मेजबानी के लिए बोली लगाई थी। हालांकि, एआईएफएफ के नए अध्यक्ष कल्याण चौबे की अगुआई वाले मौजूदा बोर्ड का मानना है कि जमीनी स्तर पर “फुटबॉल संरचना की नींव बनाना” और युवा खिलाड़ियों का विकास बड़े आयोजनों की मेजबानी से अधिक महत्वपूर्ण है।
एआईएफएफ ने अपनी कार्यकारी समिति के हवाले से एक विज्ञप्ति में कहा, “महासंघ के रणनीतिक रोडमैप के अनुसार एआईएफएफ प्रबंधन को लगता है कि बड़े आयोजनों की मेजबानी करना महासंघ की रणनीतिक प्राथमिकताओं में फिट नहीं बैठता है। हमारा वर्तमान ध्यान एएफसी एशियन कप जैसे बड़े आयोजनों की मेजबानी करने से पहले उचित फुटबॉल संरचना की नींव बनाने पर है।” एआईएफएफ के रणनीतिक रोडमैप का एलान इस महीने के अंत में किया जाएगा।
चौबे ने कहा कि भारत हमेशा बड़े टूर्नामेंटों के लिए “एक अद्भुत और कुशल मेजबान” रहा है, जैसे हाल ही में संपन्न फीफा अंडर-17 महिला विश्व कप, लेकिन अब ध्यान देश के फुटबॉल को जमीनी स्तर से लेकर युवा विकास तक हर स्तर पर मजबूत करने पर केंद्रित होगा। ईसी ने फैसला किया है कि महासंघ की समग्र रणनीति वर्तमान में जमीनी स्तर से लेकर युवा विकास तक हर स्तर पर हमारे फुटबॉल को मजबूत करने के मौलिक लक्ष्यों पर ध्यान केंद्रित करने पर बनी हुई है। साथ ही, हमें अपने हितधारकों, विशेष रूप से राज्य संघों को भी मजबूत करना चाहिए और घरेलू स्तर पर फुटबॉल के हर पहलू में बदलाव लाने के लिए क्लबों के साथ मिलकर काम करना चाहिए। इस महीने रोडमैप की घोषणा होने पर ऐसे सभी पहलुओं को सही मायने में लागू किया जाएगा।”
एआईएफएफ के महासचिव शाजी प्रभाकरन ने कहा, “हमारी रणनीति बहुत सरल है। प्रमुख अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं की मेजबानी करने की योजना बनाने से पहले हमें प्राथमिकता के आधार पर खेल को विकसित करने पर ध्यान देना चाहिए। प्रतियोगिताओं की मेजबानी के लिए बड़े संसाधनों की आवश्यकता होती है और कभी-कभी इससे हम अपने प्रमुख मुद्दों से दूर हो जाते हैं। अभी, हमारा ध्यान भारतीय फुटबॉल को एक साथ आगे ले जाने पर होना चाहिए।”
एएफसी ने कहा कि अब मनामा में फरवरी में होने वाले 2027 टूर्नामेंट की मेजबानी के लिए सऊदी अरब की बोली पेश की जाएगी। “एएफसी को आधिकारिक तौर पर एआईएफएफ ने एएफसी एशियन कप 2027 की मेजबान चयन प्रक्रिया से अपनी बोली वापस लेने के बारे में सूचित किया है। एएफसी कांग्रेस को फरवरी 2023 में मनामा, बहरीन में अंतिम मेजबान का फैसला करना है। एआईएफएफ की बोली वापस लेने के बाद, 2027 में एएफसी एशियन कप के 19वें संस्करण की मेजबानी के लिए एसएएफएफ ही 33वीं एएफसी कांग्रेस विचार के लिए एकमात्र दावेदार है।