उत्तराखंड के प्रसिद्ध पर्यटन स्थल मसूरी और देहरादून घाटी के बीच सड़क को चौड़ा किए जाने के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को उत्तराखंड हाईकोर्ट को 2057 पेड़ों की कटाई के खिलाफ याचिका पर तेजी से विचार करने को कहा है। आपको बता दे कि मसूरी से आने-जाने के लिए यातायात की सुविधा देने के लिए इन पेड़ों को काटा गया था। घने हरे भरे हिस्से में विभिन्न प्रजातियों के 2057 पेड़ों की कटाई को लेकर हुए मामले के तेहत ही सुप्रीम कोर्ट उत्तराखंड हाईकोर्ट की सुस्ती पर नाराज़ दिखा।
सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा, ‘हम याचिकाकर्ता और राज्य को 02 अगस्त को हाईकोर्ट के सामने कार्यवाही में उल्लेख करने की अनुमति देते हैं ताकि जनहित याचिकाओं पर विचार करने वाली हाईकोर्ट की पीठ 01 सप्ताह के भीतर इसे सुनवाई के लिए सूचीबद्ध कर सके।’ जस्टिस डीवाई चंद्र्चूर और सुधांशु धुलिया की पीठ ने कहा, यह उचित होगा यदि हाईकोर्ट में जनहित याचिका की सुनवाई करने वाली पीठ मामले को जल्द उठाए ताकि याचिकाकर्ता की दलीलों पर विधिवत विचार किया जा सके। इसी के चलते शीर्ष अदालत ने याचिकाकर्ता आशीष कुमार गर्ग का प्रतिनिधित्व करने वाले वरिष्ठ वकील संजय पारीख को हाईकोर्ट में लंबित कार्यवाही उठाने के लिए स्वतंत्रता प्रदान की है।
साथ ही सूत्रों के अनुसार वर्चुअल हियरिंग को मौलिक अधिकार घोषित करने की मांग वाले मामले में सुप्रीम कोर्ट ने उन सभी हाईकोर्ट को पक्षकार बनाने का आवेदन स्वीकार कर लिया जिन्होंने आभासी सुनवाई के अनुरोधों पर विचार करना बंद कर दिया है। इसके अलावा पीठ ने इस मामले में शीर्ष अदालत के समक्ष तीन याचिकाओं में से एक याचिकाकर्ता वरुण ठाकुर की याचिका पर नोटिस जरी किया गया है। इससे पहले मुख्य न्यायधीश की पीठ ने निर्देश दिया था कि मामले को जस्टिस डीवाई चंद्र्चूर की अध्यक्षता वाली पीठ के सामने रखा जाए। जस्टिस डीवाई चंद्र्चूर सुप्रीम कोर्ट की ई-कोर्ट प्रोजेक्ट के चेयरमैन भी है।