उत्तराखंड की जमीनों को बचाए रखने के लिए भू कानून संयुक्त संघर्ष मोर्चा ने अब राज्यस्तरीय आंदोलन तेज करने का निर्णय लिया है। विभिन्न जन संगठनों के संयुक्त नेतृत्व में इसकी शुरुआत 24 जुलाई को गांधी पार्क में धरना और शांतिपूर्ण प्रदर्शन के जरिए करने की तयारी है। साथ ही यह भी निर्णय लिया गया है कि अगर सरकार जुलाई के अंत तक भू कानून को वापस नहीं लेती है तो आंदोलन को तेज करने और उसे अन्य जिलों में भी विस्तार देने का काम किया जाएगा।
इस नियम के चलते मोर्चा पदाधिकारियों का कहना है कि धामी सरकार से उत्तराखंड की जनता अपेक्षा कर रही है कि वह वर्ष 2018 के कानून को तत्काल रद्द करे। साथ ही जब तक उत्तराखंड की जमीनों को बचाने के लिए नया भू कानून नहीं बनाया जाता, तब तक यहां किसी भी प्रकार की जमीनों की खरीद-फरोख्त पर रोक की घोषणा की जाए। इसके साथ ही 24 जुलाई से प्रदेश के सभी जागरूक जन संगठनों और संस्थाओं से संपर्क कर अभियान तेज किया जाएगा। बैठक में निर्णय लिया गया कि वर्ष 2018 में त्रिवेंद्र सिंह रावत सरकार की ओर से राज्य में लागू किए गए कानून को तत्काल रद्द करने का फिर से अनुरोध किया जाएगा। इसके लिए जन दबाव बनाया जाएगा जिसके चलते यह नियम का संचाल्लन होगा।
इस बैठक में उत्तराखंड महिला मंच, गढ़वाल सभा, आंदोलनकारी मंच, युवा शक्ति संगठन, संयुक्त नागरिक संगठन, सिटीजन फॉर ग्रीन दून, राज्य पेंशनर संगठन, भारत ज्ञान विज्ञान समिति के पदाधिकारियों ने भाग लिया। इस बैठक में हिमांशु अरोड़ा, चौधरी ओमवीर सिंह, प्रदीप कुकरेती, निर्मला बिष्ट, मनीष पांडे, धीरज मेहरा, उषा भट्ट, अरुणा, नीरज बोरा, राहुल नेगी, प्रभात डंडरियाल, कमला पंत, एनएस पंवार, त्रिलोचन भट्ट आदि जैसे लोग शामिल रहे।