केदारनाथ एक बहुत ही पावन और अद्भुत धार्मिक स्थल है जो की बहुत ही खूबसूरत वादियों के बीच मौजूद है। वह वादियाँ जो की बर्फ की चादर से ढकी रहकर हर व्यक्ति का मन मोह लेती है। और यही कारण है कि हर धर्म के लोग यहाँ आते है और कुदरत की खूबसूरत छटाओं का आनंद लेते है। केदारनाथ आना और यहाँ की ख़ूबसूरती की जीती-जागती मिसाल देखने का सपना अपने मन में लिए हर कोई यहाँ आना चाहता है। यूँ तो यह हिन्दुओं का धार्मिक स्थल है लेकिन हर धर्म के लोग यहाँ बिना किसी भेदभाव के आते है। उत्तराखंड में अगले महीने मई से केदारनाथ-बदरीनाथ सहित चाराें धामो के कपाट खुल रहे हैं। ऐसे में संत समाज के द्वारा केदारनाथ को लेकर एक नया और गरम मुद्दा उठ रहा है। संत समाज ने उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से ‘हिमालय को देवालय’ बनाने की मांग की है। उनका कहना है कि केदारनाथ हिंदुआ का धार्मिक स्थल है और वहां गैर हिन्दुओं का आना बिलकुल वर्जित किया जाये। उनकी इस बात से लोगो के बीच काफी हलचल मचती हुई दिख रही है। इस मांग पर अब तरह तरह की बाते तैर रही है, विभिन्न प्रकार की बयानबाजी भी शुरू हो गई है। कही पर इस मांग का काफी समर्थन किया जा रहा है तो कहीं पर काफी विरोध।
ऐसे में मुख्यमंत्री धामी ने इस मांग पर कहा कि प्रदेश के हित में जो भी फैसला होगा, उसी पर अमल किया जायेगा। चारधाम यात्रा पर जाने से पहले गैर हिंदू लोगों का वैरिफिकेशन किया जाएगा। हालांकि, उन्होंने किसी भी धर्म विशेष का नाम नहीं लिया है। धामी ने कहा कि चारधाम यात्रा के दौरान यूपी, दिल्ली सहित पड़ोसी राज्यों से प्रदेश में आने वाले सभी तीर्थ यात्रियों का भी वैरिफिकेशन कराया जाएगा। प्रदेश की धार्मिक संस्कृति को बचाने के लिए हर संभव प्रयास किए जाएंगे। आपको बता दें कि धर्माचार्य स्वामी आनंद स्वरूप ने मुख्यमंत्री कार्यालय को पत्र भेजकर मांग की थी कि केंदारनाथ,बदरीनाथ सहित चारधाम में गैर हिंदुओं का प्रवेश रोका जाए। अगर उत्तराखंड सरकार इस पर कोई फैसला नहीं लेती है तो वह खुद वैरिफिकेशन करवाएंगे ताकि गैर हिंदुओं का धार्मिक स्थलाें में प्रवेश रोका जा सके। पत्र में कहा गया था कि हिन्दू तीर्थ स्थलों विशेषतौर पर चार धाम में गैर हिंदुओं का प्रवेश वर्जित किया जाना चाहिए। उत्तराखंड की धर्म संस्कृति को बचाने के लिए सभी का वैरिफिकेशन शुरू होना चाहिए।
साथ ही संत समाज ने केदारनाथ में पर्यटकों की सवारी के लिए काम कर रहे घोड़े वालो पर भी निशाना साधते हुए कहा कि केदारनाथ में घोड़े वाले भी टोपी लगाकर पंहुचते है यानी की कहीं न कहीं उन्होंने केदारनाथ में मौजोद्द गैर हिन्दुओ पर भी इस मांग को लेकर निशाना साधा है। अब देखना यह है की यह मांग किस हद तक सही है या गलत है और क्या होगा इसका अंजाम?