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तमाम कोशिश के बावजूद भी नहीं रुक पाए भाजपा के 15 और कांग्रेस के सात भागी आखिरकार पार्टी के नेतृत्व की अपील ठुकराते हुए चुनावी मैदान में बने रहने का बड़ा ऐलान किया। पूर्व मंत्री से लेकर चुनावी मैदान मैं मौजूद विधायक शामिल। फिलहाल पार्टियां भले ही बागियों पर अपनी सख्ती दिखा रही है लेकिन कुछ समय बाद बागियों को देर सबेर सियासी ठिकाना मिल ही जाता है इसी के चलते बागी पार्टियों की परवाह नहीं करते है।
कुछ बागी उम्मीदवारों को चुनाव में दमदार प्रदर्शन करने का इनाम अगले चुनाव में टिकट हासिल करने के रूप में मिलती है। मौजूदा चुनाव में भी कांग्रेस के सहसपुर से आर्येंदर शर्मा और नरेंद्र नगर से ओमगोपाल रावत को इस बार टिकट दिया गया है। दोनों ही पिछले चुनाव में अलग-अलग दलों में बगावत कर चुनाव लड़े थे, पिछले चुनाव के दमदार प्रदर्शन के आधार पर ही उन्हें इस बार टिकट मिली है।
भाजपा ने इसी तरह यमकेश्वर में रेनू बिष्ट को टिकट दिया है जो कि पूर्व में कांग्रेस से बगावत कर चुनाव लड़ दमदार प्रदर्शन दे चुकी हैं। और साथ ही दूसरी तरफ कई ऐसे नेता बिहार चुनाव में बागी रहते हैं जो कि पूर्व में सरकार से दर्जा धारी रह चुके हो। दर्जा मिलने पर ज्यादातर नेता खुद ही चुनाव मैदान में खड़े हो उठते हैं जिस कारण पार्टियों के सिर फुटवल की नौबत आती है।