
कांग्रेस नेता और कर्नाटक के मंत्री प्रियांक खड़गे ने एक ऐसा बयान दे दिया है, जिसने भारतीय राजनीति में एक बार फिर आरएसएस (RSS) को लेकर बहस छेड़ दी है। उन्होंने कहा कि अगर केंद्र में कांग्रेस की सरकार बनती है तो राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ पर प्रतिबंध लगाया जाएगा। यह बयान एक सियासी तूफान की तरह आया है, जिसकी गूंज संसद से लेकर सोशल मीडिया तक सुनाई दे रही है।
क्यों उठी RSS पर बैन की बात?
प्रियांक खड़गे ने आरएसएस पर कड़े आरोप लगाते हुए कहा कि:
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यह संगठन संविधान विरोधी विचारधारा फैलाता है।
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समाज में नफरत और विभाजन को बढ़ावा देता है।
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राष्ट्रीय मुद्दों जैसे बेरोजगारी और महंगाई पर सवाल नहीं उठाता।
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इसके फंडिंग स्रोतों की पारदर्शिता पर संदेह है।
उन्होंने स्पष्ट कहा कि कांग्रेस अगर 2024 में सत्ता में आती है तो कानूनी प्रक्रिया के तहत RSS पर प्रतिबंध लगाने की कार्रवाई की जाएगी।
बीजेपी सांसद को जवाब
यह बयान सीधे तौर पर बीजेपी सांसद तेजस्वी सूर्या के एक बयान की प्रतिक्रिया में आया। प्रियांक ने उन्हें चुनौती देते हुए कहा:
“अगर आपमें हिम्मत है, तो कहिए कि बीजेपी को RSS की ज़रूरत नहीं है। क्या आप सिर्फ मोदी और नड्डा के नेतृत्व में काम कर सकते हैं?”
उन्होंने तंज कसा कि बीजेपी कार्यकर्ताओं को शायद ही पता हो कि असली हाईकमान कौन है, क्योंकि उनके लिए हर स्तर पर सिर्फ मोदी ही सब कुछ हैं।
कांग्रेस का इतिहास और रुख
कांग्रेस पहले भी ऐसे संगठनों पर कार्रवाई कर चुकी है:
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1948: गांधी जी की हत्या के बाद RSS पर बैन।
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1975: आपातकाल के दौरान प्रतिबंध।
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1992: बाबरी विध्वंस के बाद एक बार फिर बैन।
कर्नाटक विधानसभा चुनाव 2023 के घोषणापत्र में भी कांग्रेस ने बजरंग दल और PFI जैसे संगठनों पर बैन लगाने की बात कही थी।
BJP की प्रतिक्रिया
बीजेपी ने पलटवार करते हुए कांग्रेस पर हमला बोला और कहा कि यह बयान हिंदू विरोधी सोच का हिस्सा है।
वहीं कांग्रेस ने इसे संविधान, लोकतंत्र और सामाजिक समरसता की रक्षा के लिए ज़रूरी कदम बताया।
आने वाले चुनावों पर असर
Teju,
In our party, the High Command isn’t a one-man show. It’s a structured, democratic leadership, not a personality cult. Roles are defined, decisions are deliberated and the system matters.
Now, let’s talk about your party.
Who is the BJP’s high command?Most of your… https://t.co/rcjS2Vu6w2
— Priyank Kharge / ಪ್ರಿಯಾಂಕ್ ಖರ್ಗೆ (@PriyankKharge) June 30, 2025
इस बयान से तय है कि 2024 का चुनाव सिर्फ विकास और रोजगार जैसे मुद्दों तक सीमित नहीं रहेगा।
विचारधारा की लड़ाई, संघ बनाम संविधान, और धर्म बनाम धर्मनिरपेक्षता जैसे मुद्दे चुनाव प्रचार में केंद्र में रहेंगे।