
केरल की रहने वाली भारतीय नर्स निमिषा प्रिया को यमन की एक अदालत ने तलाल अब्दो मेहदी की हत्या के मामले में मौत की सजा सुनाई है। अब 16 जुलाई को उसे फांसी दी जानी तय मानी जा रही है। यमन की सुप्रीम कोर्ट ने 2018 में मौत की सजा दी थी, जिसे नवंबर 2023 में देश की सर्वोच्च न्यायिक परिषद ने भी बरकरार रखा।
हालांकि इस मामले में एक उम्मीद अभी बाकी है — यदि तलाल का परिवार निमिषा को माफ कर देता है, तो उसकी फांसी को रोका जा सकता है।
सामाजिक कार्यकर्ता की अपील
यमन में रह रहे सामाजिक कार्यकर्ता सैमुअल जेरोम बसकरन ने पुष्टि की है कि निमिषा की फांसी की तारीख तय हो चुकी है, लेकिन उसे बचाने के प्रयास अब भी जारी हैं। उनका कहना है, “हम यमन के अधिकारियों के संपर्क में हैं। भारत सरकार यदि सक्रियता दिखाए तो फांसी टल सकती है। हमने तलाल के परिवार को माफी का प्रस्ताव भेजा है, पर अब तक कोई जवाब नहीं आया है।”
कब और कैसे शुरू हुआ मामला?
निमिषा प्रिया 2008 में महज 19 साल की उम्र में यमन गई थीं। वहां उसकी मुलाकात तलाल अब्दो मेहदी से हुई, जिसने क्लीनिक खोलने में मदद का भरोसा दिलाया। लेकिन वादे से मुकरने के बाद तलाल ने उसे मानसिक और शारीरिक रूप से प्रताड़ित करना शुरू कर दिया।
बावजूद इसके, निमिषा ने अपनी क्लीनिक खोली और सफल होने लगी। यही बात तलाल को चुभने लगी और उसने फिर से उसे परेशान करना शुरू कर दिया। वह पैसों की मांग करता और न देने पर अत्याचार करता। आखिरकार, निमिषा ने पुलिस में शिकायत की और तलाल को जेल जाना पड़ा।
हत्या और गिरफ्तारी
जेल से छूटने के बाद तलाल ने निमिषा का पासपोर्ट जब्त कर लिया। पासपोर्ट वापस पाने के लिए निमिषा ने उसे बेहोशी का इंजेक्शन दिया, लेकिन ओवरडोज के कारण तलाल की मौत हो गई। घबराकर निमिषा ने अपने सहकर्मी हनान की मदद से शव को टुकड़ों में काटकर पानी की टंकी में छुपा दिया।
लेकिन यह राज ज्यादा दिनों तक छुपा नहीं रह सका। पुलिस ने निमिषा को गिरफ्तार कर लिया और 2018 में अदालत ने उसे मौत की सजा सुना दी।
क्या अब भी बच सकती है निमिषा?
अब जब फांसी की तारीख 16 जुलाई तय हो चुकी है, तो तलाल के परिवार की माफी ही एकमात्र रास्ता बचा है। यमन के कानून के अनुसार, यदि पीड़ित का परिवार आरोपी को माफ कर दे तो सजा को रोका जा सकता है।
भारत सरकार पर नजरें
मानवाधिकार संगठनों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने भारत सरकार से अपील की है कि वह कूटनीतिक हस्तक्षेप करे और तलाल के परिवार से संवाद स्थापित कर फांसी को रोके। निमिषा की जिंदगी अब भारत सरकार की सक्रियता और माफी की एक हाँ पर टिकी है।