
महाकुंभ के दौरान “हिंदू राष्ट्र” को लेकर दिए गए अपने बयान से चर्चा में आए शंकराचार्य निश्चलानंद सरस्वती ने एक बार फिर इस मुद्दे पर प्रतिक्रिया दी है। हाल ही में एक पॉडकास्ट इंटरव्यू में जब उनसे पूछा गया कि भारत कब तक हिंदू राष्ट्र बनेगा, तो उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि प्रक्रिया चल रही है और देश उसी दिशा में आगे बढ़ रहा है।
मोदी जी क्या हिंदू राष्ट्र का विरोध करते हैं?
पॉडकास्ट होस्ट शुभांकर मिश्रा द्वारा जब उनसे “डेडलाइन” यानी समयसीमा पूछी गई, तो शंकराचार्य ने कहा,
“अभी क्रम जारी है और हम उसी दिशा में आगे बढ़ रहे हैं। मोदी जी क्या कभी हिंदू राष्ट्र का खंडन करते हैं?”
उन्होंने कहा कि पूरी दुनिया के 54 से अधिक देशों में हिंदू रहते हैं और उनके पूर्वज सनातनी थे। उन्होंने यह भी कहा कि गुलाम नबी आजाद तक ने माना है कि उनके पूर्वज कश्मीरी पंडित थे।
जॉर्ज बुश का उदाहरण देकर दी सनातन धर्म की महत्ता
शंकराचार्य ने अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति जॉर्ज बुश का हवाला देते हुए कहा,
“बुश ने स्वीकार किया था कि वह ईसाई हैं और बाइबिल में आस्था रखते हैं, लेकिन सृष्टि को लेकर बाइबिल में जो जानकारी दी गई है, उसे आधुनिक विज्ञान ने नकार दिया है।”
उन्होंने दावा किया कि हिंदू धर्म का ज्ञान, विज्ञान, विद्या और कला के क्षेत्र में अपार है और इसकी तुलना कोई नहीं कर सकता।
मंदिरों में वीआईपी व्यवस्था पर टिप्पणी
मंदिरों में वीआईपी दर्शन की व्यवस्था पर बोलते हुए शंकराचार्य ने कहा कि यह मंदिर का नहीं, बल्कि वहां की व्यवस्था संभालने वालों का दोष है। उन्होंने कहा कि समाज में हजारों समस्याएं हैं, लेकिन समाधान के लिए सभी को मूल में जाकर सोचना होगा।
हिंदू राष्ट्र पर शंकराचार्य की पुरानी सोच
शंकराचार्य निश्चलानंद पहले भी कई बार यह कह चुके हैं कि भारत सनातनियों का देश है और यहां सनातन धर्म के सिद्धांतों के आधार पर ही राष्ट्र का भविष्य उज्जवल हो सकता है। उनका मानना है कि वेद, पुराण और शास्त्रों में जो ज्ञान है, उसे विज्ञान भी चुनौती नहीं दे सकता।