
देहरादून: भारत सरकार ने जल जीवन मिशन को और अधिक प्रभावी और पारदर्शी बनाने के लिए राज्यों को निर्देश दिया है कि वे अपनी ग्रामीण पाइप जलापूर्ति योजनाओं के लिए डिजिटल आईडी तैयार करें। उत्तराखंड इस पहल में सबसे आगे है और राज्य में RPWSS-ID मॉड्यूल का क्रियान्वयन शुरू हो चुका है।
उत्तराखंड की पहल:
जल जीवन मिशन उत्तराखंड के एमडी विशाल मिश्रा ने बताया कि राज्य में कई योजनाएं चल रही हैं, लेकिन आम जनता और विभाग दोनों के लिए उनकी निगरानी चुनौतीपूर्ण रही। इसी को ध्यान में रखते हुए उत्तराखंड ने डिजिटल मॉड्यूल विकसित किया है, जिससे राज्य और केंद्र सरकार दोनों ही रीयल-टाइम में योजनाओं की स्थिति, कार्य प्रगति, मरम्मत और संचालन की जानकारी प्राप्त कर सकेंगे।
RPWSS-ID मॉड्यूल का महत्व:
केंद्र सरकार द्वारा तैयार RPWSS-ID मॉड्यूल हर जलापूर्ति योजना को विशेष डिजिटल पहचान देगा। इसके जरिए योजना की वास्तविक स्थिति, खर्च, संचालन और मरम्मत की जरूरत ऑनलाइन और रीयल-टाइम में उपलब्ध होगी।
पहले चरण में कार्यान्वयन:
उत्तराखंड सरकार ने पहले चरण में लगभग 16,000 गांवों की जलापूर्ति योजनाओं को डिजिटल आईडी देने की प्रक्रिया शुरू की है। इससे योजना की निगरानी आसान होगी और किसी भी समस्या पर त्वरित कार्रवाई की जा सकेगी। आम नागरिक भी अपने क्षेत्र की योजना की स्थिति, खर्च और मरम्मत की जानकारी आसानी से ऑनलाइन देख सकेंगे।
राष्ट्रीय स्तर पर विस्तार:
यह पहल सिर्फ उत्तराखंड तक सीमित नहीं रहेगी। सभी राज्य और केंद्र शासित प्रदेश RPWSS-ID मॉड्यूल को नवंबर अंत तक लागू करेंगे। इससे ग्रामीण जल आपूर्ति के ढांचे में राष्ट्रीय डिजिटल नेटवर्किंग संभव होगी।
प्रभाव और पारदर्शिता:
RPWSS-ID मॉड्यूल से जिला प्रशासन, राज्य मिशन और केंद्र सरकार एक साझा डिजिटल मंच पर जुड़ सकेंगे। जिला कलेक्टर और पंचायतें रख-रखाव, मॉनिटरिंग, शिकायत निवारण और बजट प्रबंधन में सहयोग कर सकेंगे।
यह प्रणाली सुनिश्चित करेगी कि हर कार्य – चाहे निर्माण, मरम्मत या शिकायत निवारण – डिजिटल रिकॉर्ड में दर्ज हो। केंद्र सरकार इस पहल के लिए विशेष बजट और तकनीकी सहयोग भी उपलब्ध कराएगी।