उत्तराखंड के जंगलो में लगी आग शांत होने का नाम नहीं ले रही है बल्कि और भी भयानक रूप लेती हुई नज़र आ रही है। यह वनाग्नि भविष्य में आने वाली समस्याओ का संकेत दे रही है। पेड़-पौधों के साथ-साथ अब मनुष्य का जीवन भी खतरे में आ चुका है। यहाँ तक कि एक व्यक्ति भी इसी जंगल की आग में जल कर राख हो गया। इस बार की वनाग्नि से अब तक के सारे रिकॉर्ड टूटते हुए नज़र आ रहे है। साथ ही पेड़ो के जलने के कारण उनसे मिलने वाले लाभ का भी भरी मात्र में नुक्सान हो रहा है जो कहीं न कहीं आने वाले भविष्य के लिए खतरे और चिंताजनक विषय है। जिस तेजी से घटनाएं बढ़ रही हैं, उससे 2016 और बीते वर्ष लगी भीषण आग का रिकॉर्ड टूटता दिखाई दे रहा है। पिछले 24 घंटे में 227 घटनाओं में 561 हेक्टेयर जंगल को नुकसान पहुंचा है। जबकि अब तक कुल 1443 वनाग्नि की घटनाएं रिपोर्ट की जा चुकी हैं। जिस तेजी से घटनाएं बढ़ रही हैं, उससे 2016 और बीते वर्ष लगी भीषण आग का रिकॉर्ड टूटता दिखाई दे रहा है। पिछले 24 घंटे में 227 घटनाओं में 561 हेक्टेयर जंगल को नुकसान पहुंचा है। जबकि अब तक कुल 1443 वनाग्नि की घटनाएं रिपोर्ट की जा चुकी हैं।
15 फरवरी से शुरू हुए फायर सीजन में इस वर्ष अब तक वनाग्नि की कुल 1443 घटनाएं सामने आ चुकी हैं। इनमें गढ़वाल में 642, कुमाऊं में 724 और संरक्षित वन्य जीव क्षेत्र की 77 घटनाएं शामिल हैं। इनमें 2432.62 हेक्टेयर वन क्षेत्र प्रभावित हुआ है। जबकि 60 लाख रुपये से अधिक की आर्थिक क्षति का आकलन किया गया है। वहीं पांच लोगों के घायल होने के साथ एक व्यक्ति की मृत्यु हो चुकी है। वहीं, कुमाऊं क्षेत्र में आरक्षित वन क्षेत्र में 73, सिविल वन पंचायत क्षेत्र में 26, कुल 99 घटनाएं दर्ज की गईं। इसी तरह से संरक्षित वन्य जीव पार्कों में भी वनाग्नि की नौ घटनाएं रिपोर्ट की गईं। वनाग्नि की इन घटनाओं में कुल 561 हेक्टेयर वन क्षेत्र प्रभावित हुआ है, जबकि 11 लाख रुपये से अधिक की आर्थिक क्षति का आकलन किया गया है।