उत्तराखंड में आगामी विधानसभा चुनाव को ध्यान में रखते हुए मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) की तैयारी मुख्य निर्वाचन अधिकारी कार्यालय द्वारा शुरू कर दी गई है। जनवरी 2026 की अर्हता तिथि के आधार पर टेबल टॉप एक्सरसाइज की गई, जिसमें मतदाताओं को चार श्रेणियों में विभाजित किया गया है।

श्रेणी ए में वे मतदाता शामिल हैं, जो 2025 की सूची में पंजीकृत हैं, उनकी आयु 38 वर्ष या उससे अधिक है, और जिनका नाम 2003 की सूची में भी है। इन्हें सत्यापन के समय केवल एब्स्ट्रेक्ट प्रस्तुत करना होगा।
श्रेणी बी में ऐसे मतदाता हैं, जिनका नाम 2025 की सूची में है और उम्र 38 वर्ष या उससे अधिक है, लेकिन 2003 की सूची में नहीं है। इन मतदाताओं को सत्यापन के समय पासपोर्ट, ड्राइविंग लाइसेंस, केंद्र/राज्य सरकार या सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों द्वारा जारी फोटो पहचान पत्र, बैंक या डाकघर से जारी फोटो पासबुक, पैन कार्ड, एनपीआर स्मार्ट कार्ड, मनरेगा जॉब कार्ड, स्वास्थ्य बीमा स्मार्ट कार्ड, फोटोयुक्त पेंशन दस्तावेज, सांसद/विधायक/MLC द्वारा जारी आधिकारिक पहचान पत्र या आधार कार्ड जैसे दस्तावेजों में से कोई एक प्रस्तुत करना होगा।
श्रेणी सी में 20 से 37 वर्ष की आयु वाले मतदाता शामिल हैं, जबकि श्रेणी डी में 18 से 19 वर्ष के मतदाता आते हैं। इन दोनों श्रेणियों के मतदाताओं को सत्यापन के समय 11 दस्तावेजों में से एक स्वयं का और एक माता-पिता का दस्तावेज प्रस्तुत करना होगा।
मुख्य निर्वाचन अधिकारी कार्यालय ने उत्तराखंड की 2003 की मतदाता सूची जारी की है। सभी 70 विधानसभा क्षेत्रों के मतदाताओं को अपना नाम सूची में खोजना होगा। आयोग के निर्णय से असंतुष्ट मतदाता 15 दिनों के भीतर जिला मजिस्ट्रेट के समक्ष प्रथम अपील और 30 दिनों के भीतर मुख्य निर्वाचन अधिकारी के समक्ष दूसरी अपील कर सकते हैं।
डॉ. पुरुषोत्तम ने बताया कि प्रदेश में 11,733 पोलिंग बूथ हैं और हर राजनीतिक दल का एक-एक बीएएल नियुक्त किया जाना है। फिलहाल केवल 2,744 बीएएल नियुक्त हुए हैं, इसलिए राजनीतिक दलों से जल्द नियुक्ति करने का आग्रह किया गया है। इस प्रक्रिया से यह सुनिश्चित होगा कि इस साल उत्तराखंड की मतदाता सूची का 2003 की सूची से मिलान किया जाएगा।