उत्तराखंड को बनाने वाले आन्दोलनकारियों ने कभी सपने में भी यह नही सोचा होगा की जिसके लिए वो अपनी जान दे रहे हैं वो घोटालों का, फर्जीवाड़ों का, भ्रष्ट नेताओं का, लूट खसोट का गढ़ बन जायगा. ukssc पेपर लीक मामले से शुरू हुआ भ्रष्टाचार का मामला ऐसा उठा की अब रुकने का नाम नही ले रहा है. ग्रामीण युवाओं के सरकारी नौकरी के सपने हाकम सिंह जैसे छीन रहे हैं वहीँ उन युवाओं के ग्रामीण माता-पिता पैसे खुद बैंक के कर्मचारी ही लेकर भाग जा रहे हैं.
मामला टिहरी जनपद के जाखणीधार ब्लाक के यूनियन बैंक मदन नेगी का है जहाँ बैंक के ही कैशियर पर 1 करोड़ 20 लाख के गबन का आरोप लगा है, फिलहाल कैशियर फरार है. ग्रामीणों का आरोप है कि कैशियर ने ग्राहकों के एफडी और खातों से रकम निकालकर गबन किया है। घोटाले की सच्चाई सामने आने के बाद बैंक का कैशियर दो दिन से लापता है।
मदन नेगी क्षेत्र के यूनियन बैंक में गबन की सूचना मिलने के बाद शुक्रवार को बड़ी संख्या में ग्रामीण बैंक पहुंचे और अपने खातों की जांच की। कई गामीणों की एफडी से धनराशि गायब है और कई ग्रामीणों की एफडी पर कैशियर सोमेश डोभाल ने लोन भी ले रखा है।
सांदणा गांव निवासी दौलत सिंह रावत ने बताया कि उनके पिता धूम सिंह रावत के नाम पर 18 लाख रुपये की एफडी थी। इस एफडी पर ही कैशियर सोमेश डोभाल ने स्वयं 12 लाख रुपये का लोन ले रखा था। ग्रामीण पदम सिंह रावत की तीन लाख की एफडी में रुपये ही नहीं थे और ना ही उन्हें एफडी के कागज दिए गए। इसी तरह भूरी देवी की 16 लाख की एफडी, महावीर की 10 लाख की एफडी, गैणा न्यूली की चार लाख, बचन सिंह पंवार की तीन लाख और गणेश चमोली तीस लाख रुपये की एफडी की धनराशि भी गायब है। देर शाम तक बैंक में ग्रामीण डटे रहे।
सांदणा गांव निवासी दौलत सिंह रावत ने बताया कि उनके पिता धूम सिंह रावत के नाम पर 18 लाख रुपये की एफडी थी। इस एफडी पर ही कैशियर सोमेश डोभाल ने स्वयं 12 लाख रुपये का लोन ले रखा था। ग्रामीण पदम सिंह रावत की तीन लाख की एफडी में रुपये ही नहीं थे और ना ही उन्हें एफडी के कागज दिए गए। इसी तरह भूरी देवी की 16 लाख की एफडी, महावीर की 10 लाख की एफडी, गैणा न्यूली की चार लाख, बचन सिंह पंवार की तीन लाख और गणेश चमोली तीस लाख रुपये की एफडी की धनराशि भी गायब है। देर शाम तक बैंक में ग्रामीण डटे रहे।