जानकारी के अनुसार, दरऊ निवासी चंद्रपाल की बेटी की शादी 15 दिन बाद होनी है। पैसों की सख्त जरूरत के बावजूद धान न बिकने से वे परेशान थे। सोमवार को गुस्से में उन्होंने खरीद केंद्र पर रखे धान में आग लगा दी। चंद्रपाल ने बताया कि एक महीने से वे मंडी में फसल बेचने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन केंद्र पर लिमिट खत्म होने के कारण तौल बंद है।
घटना के बाद दर्जनों किसान एसडीएम गौरव पांडे के कार्यालय पहुंचे और विरोध जताते हुए खरीद फिर से शुरू करने की मांग की। किसानों ने बताया कि एक महीने पहले गांव में क्रय केंद्र शुरू हुआ था, लेकिन केवल नौ दिन तक ही तौल हुई। लगभग 4500 क्विंटल धान खरीदने के बाद केंद्र प्रभारी ने लिमिट पूरी होने का हवाला देकर खरीद बंद कर दी।
किसानों ने कहा कि सैकड़ों क्विंटल धान अब भी मंडी में पड़ा है, जिससे फसल खराब होने का खतरा है। किसान फरहाद खान, अमजद खान, जुबैर खान, आदिल खान सहित कई किसानों ने बताया कि सरकार और अधिकारियों से बार-बार गुहार लगाने के बाद भी कोई सुनवाई नहीं हो रही है।
वहीं, कारगिल युद्ध में देश की सेवा कर चुके गुरनाम सिंह भी अब धान बेचने की लड़ाई लड़ रहे हैं। वे पिछले 20 दिनों से रोजाना मंडी पहुंचते हैं, लेकिन अभी तक केवल 70 क्विंटल धान की तौल नहीं हो सकी। उन्होंने कहा कि “हमने देश की सीमाओं पर लड़ाई लड़ी, अब मंडी में अपने अधिकारों के लिए जंग लड़नी पड़ रही है।”
किच्छा मंडी में फिलहाल 500 क्विंटल से अधिक धान पड़ा हुआ है। वहीं, पंतनगर के किसान दिनेश मंडल ने केंद्र पर लिमिट न बढ़ने से तंग आकर अपना 900 क्विंटल धान 1910 रुपये प्रति क्विंटल की दर से व्यापारी को बेच दिया।
एसडीएम गौरव पांडे ने कहा कि किसानों की समस्या की जानकारी आरएफसी विभाग को भेज दी गई है। जैसे ही लिमिट बढ़ेगी, धान की खरीद दोबारा शुरू की जाएगी।