
तेहरान: अमेरिका और ईरान के बीच तनाव एक बार फिर खतरनाक मोड़ पर है। ईरान ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को खुलेआम जान से मारने की धमकी दी है। यह धमकी ईरानी परमाणु ठिकानों पर अमेरिकी हमले के बाद सामने आई है, जिसमें तीन प्रमुख संयंत्रों को गंभीर नुकसान पहुंचा है। अब ईरान ने साफ कर दिया है कि ट्रंप को उनके घर में भी निशाना बनाया जा सकता है।
खामेनेई के करीबी की खुली चेतावनी
ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खामेनेई के करीबी और राजनीतिक सलाहकार जावेद लारीजानी ने एक टीवी इंटरव्यू में ट्रंप को निशाना बनाते हुए कहा, “अब वह मारा-ए-लागो में भी सुरक्षित नहीं हैं। जब वह धूप में पेट के बल लेटे होंगे, तब एक छोटा ड्रोन उन पर गिर सकता है। यह करना बेहद आसान है।”
परमाणु हमले के बाद भड़का ईरान
इस धमकी से ठीक पहले अमेरिका ने इजरायल के आग्रह पर ईरान के परमाणु ठिकानों पर जबरदस्त बमबारी की थी। बी-2 बमवर्षक विमानों द्वारा गिराए गए बंकर बस्टर बमों से ईरान की परमाणु क्षमता को भारी नुकसान हुआ है। विशेषज्ञों के अनुसार, ईरान का परमाणु कार्यक्रम कम से कम 5 साल पीछे चला गया है।
क्राउडफंडिंग से जुट रहा है ट्रंप की हत्या का इनाम
ट्रंप के खिलाफ ईरान के इस तेवर के पीछे एक क्राउडफंडिंग प्लेटफॉर्म भी चर्चा में है। ‘ब्लड पैक्ट’ या फारसी में ‘अहदे खून’ नाम की वेबसाइट पर ट्रंप की हत्या के लिए फंड इकट्ठा किया जा रहा है। इस प्लेटफॉर्म का उद्देश्य 10 करोड़ डॉलर इनाम की रकम जुटाना है। अब तक इसमें 2.7 करोड़ डॉलर से अधिक जमा हो चुके हैं।
वेबसाइट पर क्या लिखा है?
प्लेटफॉर्म के होमपेज पर लिखा गया है, “जो कोई भी ईश्वर के दुश्मनों और अली खामेनेई को नुकसान पहुंचाने वालों को सजा दिलाएगा, उसे इनाम दिया जाएगा।” यह संदेश सीधे तौर पर ट्रंप को निशाना बनाता है।
सुलेमानी की हत्या बनी बड़ी वजह
2020 में अमेरिकी ड्रोन हमले में ईरान के वरिष्ठ सैन्य अधिकारी कासिम सुलेमानी की मौत हुई थी। ट्रंप ने ही इस कार्रवाई की मंजूरी दी थी। तभी से ईरान ट्रंप को दुश्मन मानता है और कई बार हत्या की धमकी दे चुका है। अमेरिकी एजेंसियों का भी मानना है कि ईरानी सैन्य संगठन IRGC ट्रंप के खिलाफ साजिश रच रहा है।
अमेरिका में बढ़ा अलर्ट
ईरान की इस नई धमकी और हत्या के लिए चल रहे क्राउडफंडिंग अभियान के बाद अमेरिका की खुफिया एजेंसियां सतर्क हो गई हैं। ट्रंप की सुरक्षा को लेकर अलर्ट बढ़ा दिया गया है। अंतरराष्ट्रीय समुदाय भी इस घटनाक्रम पर नजर बनाए हुए है, क्योंकि इस तनाव से पश्चिम एशिया में हालात और खराब हो सकते हैं।