प्रदेश में लगातार आए दिन पेपर लीक के मामले सामने आ रहे है। हाल ही में आए स्नातक स्तरीय परीक्षा में पेपर लीक प्रकरण के बीच उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग सख्त नकलरोधी कानून बनाने जा रहा है। जी हाँ सही सुना आपने आयोग ने इसका प्रस्ताव भी पास कर दिया है। ड्राफ्ट बनाकर जल्द ही शासन को भेजा जाएगा। आपको बता दे की यह कानून राजस्थान में इस साल फरवरी में आए नकलरोधी कानून की तर्ज पर सख्त होगा।
साथ ही खबर है कि चयन आयोग में पेपर लीक का यह अपनी तरह का पहला मामला दर्ज हुआ है, लेकिन इसके विपरीत करीब पांच परीक्षाओं में कई तरह की गड़बड़ियां पहले सामने आ चुकी हैं। जिन्हें विभाग द्वारा नजर अंदाज किया गया था। इनमें जेई इलेक्ट्रिकल की परीक्षा दोबारा हुई थी तो वन आरक्षी की परीक्षा भी हरिद्वार के सात केंद्रों पर दोबारा कराई गई थी। इन दिनों स्नातक स्तरीय परीक्षा में परीक्षा से पहले ही सवालों के उम्मीदवारों तक पहुंचने का मामला आयोग के लिए चुनौती बनकर खड़ा है। आए दिन लोगों द्वारा पेपर लीक के मामले में इस बार आयोग ने सख्त कदम उठाने के निर्णय लिए है।
आपको बता दे कि अभी तक पेपर लीक का कोई भी मामला प्रकाशित होने पर उत्तराखंड के नकल रोधी कानून के तहत आरोपियों पर आईपीसी की धारा 420, 120 बी या हाईटेक नकल होने पर आईटी एक्ट में ही मुकदमे दर्ज होते हैं। आयोग का मानना है कि कानून के यह प्रावधान अपराधियों के लिए कानून के यह प्रावधान कमतर हैं। इसके चलते सरकार ने नकल रोधी कानून में बदलाव करते हुए अब नकल गिरोह के सदस्यों पर 10 लाख से 10 करोड़ रुपये तक जुर्माना लगाने के आदेश दिए है। इसके अलावा उनकी संपत्ति भी कुर्क की जा सकेगी। साथ ही नकल का अपराध साबित होने पर पांच से दस साल की सजा का भी प्रावधान किया जाएगा।
साथ ही आयोग ने किसी गिरोह के संपर्क में आकर नकल करने वाले उम्मीदवारों पर भी सख्त सजा का प्रावधान करने का फैसला लिया है। अगर कोई उम्मीदवार किसी नकल गिरोह से पेपर खरीदने का दोषी पाया गया तो उस पर एक लाख रुपये जुर्माने के साथ ही तीन साल तक की सजा भी हो सकेगी। अगर छात्र उस नकल गिरोह का सदस्य पाया गया तो गिरोह के हिसाब से ही उस पर कार्रवाई की जाएगी। इसके अलावा नकल करते पकड़े जाने पर दो साल तक किसी भी तरह की परीक्षाओं में शामिल नहीं किया जायेगा। आयोग की ओर से नकल रोकने को यह भी नया प्रावधान किया जा रहा है।