पहाड़ के अस्पतालों की स्वास्थय सेवाएं दिन ब दिन बदहाल होती जा रही है। ऐसा ही कुछ खटीमा की एक गर्भवती महिला के साथ हुआ। हाल ही में प्रसव के लिए खटीमा के स्वास्थ्य केंद्र से प्रीति की पीड़ा बढ़ती जा रही थी, लेकिन उसे समय पर इलाज नहीं मिल सका। उसे तपती धुप में एक जगह से रैफर किए जाने के बाद प्रीति और परिजन अन्य अस्पताल जाने के लिए बाहर फुटपाथ पर बैठे थे। तभी प्रीति को तेज प्रसव पीड़ा तेज हो गई। जिस कारण से अंत में प्रसव पीड़ा इतनी बढ़ गई कि महिला को आखिर में अस्पताल के पार्क में बच्चे को जन्म देना पड़ा।
इस मामले में महिला अस्पताल की सीएमएस डॉ. उषा जंगपांगी ने बताया कि सिस्टर ने गर्भवती महिला को अस्पताल से वापस भेजने के लिए किसी डॉक्टर की स्वीकृति नहीं ली थी। जिस कारण यह नियम का उल्लंघन है। इसमें उसको जमकर फटकार लगाई गई है। साथ ही इस मामले में आगे भी जांच की जाएगी। इस मामले में नैनीताल जिले की सीएमओ डॉ. भागीरथी जोशी ने कहा कि मामला उनकी जानकारी में नहीं है। अगर जानकारी में आएगा तो उसकी जांच की जायेगी।
साथ ही अभी इस मामले में ताजा अपडेट के मुताबिक राजकीय महिला अस्पातल में काम कर रहे नर्सिंग अधिकारी को निलंबित कर दिया गया है। साथ ही अस्पताल में तैनात महिला डॉक्टरों को निलंबित करने की सिफारिश की गयी है। इसी के चलते डॉ. धन सिंह रावत की और से मामले में कारवाई करने के निर्देश के बाद स्वास्थय महानिदेशक डॉ. शैलजा भट्ट ने कारवाई की है। इस मामले में स्वास्थ्य मंत्री ने सचिव को जांच के आदेश देकर तीन दिन में रिपोर्ट मांगी है।