
समाजवादी पार्टी के नेता आजम खां और उनके बेटे अब्दुल्ला आजम एक बार फिर कानूनी शिकंजे में आ गए हैं। रामपुर से पूर्व विधायक रहे अब्दुल्ला आजम की लगातार गैरहाजिरी को गंभीरता से लेते हुए एमपी-एमएलए स्पेशल कोर्ट ने उनके खिलाफ गैर-जमानती वारंट (NBW) जारी कर दिया है। यह कार्रवाई वर्ष 2008 के चर्चित छजलैट बवाल मामले में सुनाई गई सजा के खिलाफ चल रही अपील की सुनवाई के दौरान की गई।
कोर्ट ने अब मामले की अगली सुनवाई 7 जुलाई को तय की है।
क्या है छजलैट बवाल मामला?
यह मामला 2 जनवरी 2008 का है, जब मुरादाबाद के छजलैट थाना क्षेत्र में एक लाल बत्ती लगी गाड़ी को पुलिस ने रोक लिया था। इसके बाद मौके पर विवाद हुआ और बवाल मच गया। जांच में समाजवादी नेता आजम खां और उनके बेटे अब्दुल्ला आजम को दोषी पाया गया। मुरादाबाद की एमपी-एमएलए कोर्ट ने दोनों को दो-दो साल की सजा और जुर्माना सुनाया था।
आजम खां की अपील खारिज हो चुकी है, लेकिन अब्दुल्ला आजम की अपील पर सुनवाई चल रही थी। उनकी कोर्ट में अनुपस्थिति को देखते हुए एडीजे-3 आंचल लवानिया ने NBW जारी किया है।
फर्जी दस्तावेजों के आरोप भी
अब्दुल्ला आजम पर दो पैनकार्ड और दो पासपोर्ट बनवाने का भी आरोप है। भाजपा विधायक आकाश सक्सेना की शिकायत पर यह मामला दर्ज हुआ था। सक्सेना ने आरोप लगाया कि अब्दुल्ला ने दो अलग-अलग जन्म प्रमाणपत्रों के जरिए दस्तावेज बनवाए और उनका उपयोग निजी फायदे के लिए किया।
इस केस में शुक्रवार को सहारनपुर की एक फर्म के एकाउंटेंट दीपक गोयल कोर्ट में पेश हुए और उन्होंने अपनी गवाही दी। वहीं, पासपोर्ट केस में अब्दुल्ला के वकील ने कोर्ट से सुनवाई टालने की अपील की, जिसे स्वीकार कर लिया गया। इस मामले में अगली सुनवाई अब 10 जुलाई को होगी।
कोर्ट की सख्ती और राजनीतिक हलचल
लगातार गैरहाजिरी और गंभीर आरोपों के चलते अब्दुल्ला आजम की मुश्किलें लगातार बढ़ती जा रही हैं। एमपी-एमएलए कोर्ट की सख्ती से साफ है कि अब कानून अपना सख्त रुख अपना रहा है। इन मामलों पर राजनीति भी गर्म हो गई है और आने वाले दिनों में यह विवाद और गहराता दिख सकता है।