
बिहार में एक तरफ जहां नामी व्यवसायी गोपाल खेमका की हत्या से राजनीतिक पारा चढ़ा हुआ है, वहीं दूसरी ओर मुहर्रम के मौके पर भड़की हिंसा ने हालात और भी तनावपूर्ण बना दिए हैं। पटना के पॉश इलाके में हुई खेमका की हत्या पर नीतीश सरकार को पहले ही विपक्ष और सहयोगी दलों की तीखी आलोचनाओं का सामना करना पड़ रहा था, अब मुहर्रम की घटनाओं ने इस सियासी आग में घी का काम किया है।
लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के प्रमुख चिराग पासवान और रालोजपा के उपेंद्र कुशवाहा पहले ही कानून व्यवस्था को लेकर नीतीश सरकार की कार्यप्रणाली पर सवाल उठा चुके हैं। अब भारतीय जनता पार्टी ने मुहर्रम हिंसा को लेकर आरजेडी नेता तेजस्वी यादव को कटघरे में खड़ा किया है।
बीजेपी आईटी सेल के प्रमुख अमित मालवीय ने ट्वीट कर तेजस्वी यादव पर गंभीर आरोप लगाए। उन्होंने कहा,
“तेजस्वी यादव के मंच से ‘शाहबुद्दीन जिंदाबाद’ के नारे लगने के बाद बिहार में अराजक तत्वों ने मुहर्रम के जुलूस की आड़ में हिंदुओं पर हमले शुरू कर दिए। मोतिहारी में अजय यादव की हत्या इसी का उदाहरण है। तेजस्वी यादव, जो स्वयं यादव समुदाय से आते हैं, ने इस हत्या पर चुप्पी साध रखी है। क्या आरजेडी की राजनीति में अब मुस्लिम तुष्टिकरण इतना हावी हो गया है कि यादव समाज की जान की कोई कीमत नहीं रही?”
मालवीय ने इसे “शाहबुद्दीनवादी मानसिकता” का परिणाम बताया और कहा कि तेजस्वी यादव उसी मानसिकता को मंच से महिमामंडित कर रहे हैं।
इसी बीच रविवार को बिहार के गोपालगंज और कटिहार जिलों में मुहर्रम जुलूस के दौरान हिंसा की खबरें सामने आईं। गोपालगंज के मांझा इलाके में दो अखाड़ों के बीच करतब दिखाने को लेकर कहासुनी हुई, जो देखते ही देखते पथराव और तोड़फोड़ में बदल गई। एक व्यक्ति को हल्की चोट आई, जिसे अस्पताल में भर्ती कराया गया है।
गोपालगंज के जिलाधिकारी पवन कुमार सिन्हा ने बताया कि जुलूस के दौरान दो पक्षों के बीच झड़प हुई, जिसमें कुछ वाहन क्षतिग्रस्त हुए और पुलिस ने स्थिति को नियंत्रण में किया।