उत्तर प्रदेश के फर्रूखाबाद में एक अनोखी शादी की घटना ने सभी को चौंका दिया। एक इंजीनियर दूल्हे की बारात दुल्हन के इंकार के कारण बिना दुल्हन के ही लौट गई। दुल्हन ने दूल्हे की सैलरी स्लिप देखने के बावजूद शादी करने से मना कर दिया, क्योंकि उसे बताया गया था कि दूल्हे की सरकारी नौकरी है। यह घटना न केवल दूल्हे और दुल्हन के परिवारों के लिए बल्कि समाज के लिए भी एक बड़ा सवाल खड़ा करती है कि आखिरकार शादी में नौकरी की स्थिति का इतना महत्व क्यों है।
बारात का स्वागत
फर्रूखाबाद में एक सरकारी क्लर्क के बेटे की बारात धूमधाम से गेस्ट हाउस में आई। बारात का स्वागत बड़े उत्साह के साथ किया गया, और सभी रस्में खुशी-खुशी संपन्न हो रही थीं। वरमाला की रस्म भी पूरी की गई, और सब कुछ ठीक चल रहा था। लेकिन जैसे ही शादी की अन्य रस्में शुरू हुईं, दूल्हे की नौकरी के बारे में चर्चा हुई, और यहीं से स्थिति बदल गई।
दुल्हन का इंकार
जब दुल्हन पक्ष के लोगों ने दूल्हे के पिता से उसकी नौकरी के बारे में पूछा, तो उन्होंने बताया कि उनका बेटा सिविल इंजीनियर है। यह सुनते ही दुल्हन को गहरा धक्का लगा क्योंकि उसे पहले बताया गया था कि दूल्हा सरकारी नौकरी करता है। दुल्हन ने तुरंत शादी करने से इंकार कर दिया, यह कहते हुए कि वह प्राइवेट नौकरी करने वाले से शादी नहीं करेगी। इस स्थिति ने दोनों पक्षों के बीच तनाव पैदा कर दिया।
परिवारों की कोशिशें
दूल्हे और दुल्हन के परिवारों ने स्थिति को संभालने की कोशिश की। दूल्हे के परिवार ने दुल्हन को समझाने का प्रयास किया कि उसकी सैलरी बहुत अच्छी है और वह एक सफल इंजीनियर है। लेकिन दुल्हन अपनी बात पर अड़ी रही। समाज के लोग भी इस मामले में शामिल हुए और दोनों पक्षों को मनाने की कोशिश की, लेकिन दुल्हन ने किसी की नहीं सुनी।
दूल्हे की सैलरी स्लिप
जब दूल्हे को दुल्हन के इंकार के बारे में पता चला, तो उसने अपनी सैलरी स्लिप मंगवाई। इस स्लिप में उसका वेतन 1,20,000 रुपये प्रति माह लिखा हुआ था। दूल्हे ने यह स्लिप दुल्हन के परिवार वालों को दिखाई, यह साबित करने के लिए कि उसकी आर्थिक स्थिति बहुत अच्छी है। लेकिन इसके बावजूद दुल्हन ने अपनी जिद नहीं छोड़ी और शादी करने से मना कर दिया।
समाज का निर्णय
इस स्थिति के बाद समाज के लोगों ने फैसला किया कि दोनों परिवारों के जो भी खर्च हुए हैं, उन्हें आपस में बांट लेना चाहिए। यह निर्णय इस बात का प्रतीक था कि शादी में केवल दूल्हे की नौकरी ही नहीं, बल्कि समाज की अपेक्षाएं और परंपराएं भी महत्वपूर्ण होती हैं। अंततः दूल्हा बिना दुल्हन के ही बारात लेकर लौट गया, और यह घटना सभी के लिए एक सीख बन गई।