
कर्नाटक पुलिस जब जंगली इलाके में पेट्रोलिंग कर रही थी, तभी उन्हें एक गुफा दिखाई दी, जिसका नजारा देखकर वे हैरान रह गए। गुफा के अंदर एक विदेशी महिला अपने दो छोटे बच्चों के साथ रह रही थी। जांच में पता चला कि महिला रूस की नागरिक है और बीते 8 वर्षों से इसी गुफा में रहकर जीवन गुजार रही थी।
आध्यात्म की तलाश में आई थी भारत
40 वर्षीय इस महिला का असली नाम नीना कुटीना है, लेकिन भारत आने के बाद उसने अपना नाम बदलकर “मोही” रख लिया था। मोही ने बताया कि वह भारत में शांति और आध्यात्म की तलाश में आई थी। तभी से उसने जंगलों में एक साध्वी जैसा जीवन जीना शुरू कर दिया और पूरी तरह से दुनिया से कट गई।
गुफा में दो बेटियां और एक रुद्र की मूर्ति
मोही उत्तरा कन्नड़ जिले की रामतीर्थ पहाड़ियों में एक गुफा में रह रही थी। वहां सिर्फ तीन ही प्राणी थे — मोही और उसकी दो बेटियां, जिनमें एक की उम्र 6 साल (प्रेया) और दूसरी की उम्र 4 साल (अमा) थी। इनके साथ वहां सिर्फ एक रुद्र की मूर्ति थी, जिसकी वह रोज पूजा करती थी। उनके जीवन में न बिजली थी, न कोई तकनीक — सिर्फ प्रकृति, ध्यान और आत्मिक साधना।
कैसे हुआ खुलासा?
पुलिस को मोही के बारे में तब पता चला जब इलाके में भूस्खलन (लैंडस्लाइड) हुआ। पुलिस यह देखने के लिए जंगल में गई कि कोई मलबे में दबा तो नहीं। तभी उन्हें कपड़े और एक गुफा दिखाई दी। गुफा के अंदर वे गए तो वहां एक बच्ची खेल रही थी, दूसरी सो रही थी और पास में एक महिला ध्यान में लीन थी। गुफा में पूजा की सामग्री और एक रुद्र प्रतिमा रखी हुई थी।
2017 में खत्म हो चुका था वीजा
मोही 2016 में बिजनेस वीजा पर भारत आई थी, लेकिन उसका वीजा 17 अप्रैल 2017 को ही समाप्त हो गया था। इसके बाद उसने भारत छोड़ने के बजाय जंगलों में गुमनामी का जीवन शुरू कर दिया। 2018 में एक बार वह नेपाल गई थी, लेकिन फिर लौटकर कर्नाटक के तटीय जंगलों में बस गई और किसी को खबर तक नहीं लगी।
भारत में ही जन्मीं दोनों बेटियां
मोही ने पुलिस को बताया कि उसकी दोनों बेटियां भारत में ही पैदा हुई हैं। लेकिन जब पुलिस ने पिता के बारे में पूछा, तो उसने जवाब देने से इनकार कर दिया। पुलिस ने जब उसे जंगल से बाहर आने को कहा, तो वह राजी नहीं हुई। काफी समझाने के बाद वह बाहर आई। उसने कहा — “मुझे इंसानों से डर लगता है, जानवरों से नहीं।”
सांपों को बताया दोस्त
मोही ने पुलिस को बताया कि वह और उसके बच्चे अक्सर झरनों में नहाने जाते थे और वहां सांप उनके आसपास घूमते थे, लेकिन कभी कोई नुकसान नहीं पहुंचाया। गुफा में भी सांप आ जाते थे, मगर उन्होंने कभी किसी को नुकसान नहीं पहुंचाया। उसने कहा — “सांप हमारे दोस्त हैं, हम उन्हें नुकसान नहीं पहुंचाते, इसलिए वे भी हमें कुछ नहीं कहते।”
सादा जीवन, ध्यान और भक्ति
गुफा में मोही ने प्राकृतिक जीवन अपनाया था। उनके पास सीमित कपड़े थे, प्राकृतिक रोशनी में दिन बिताते थे और ध्यान, योग और मंत्रोच्चारण करते थे। वह अपनी बेटियों के साथ भजन गाती, पेंटिंग करती और उन्हें आध्यात्मिक शिक्षा देती थी। कभी-कभार वह बेटियों को गोकर्ण जैसे धार्मिक स्थलों पर भी ले जाती थी।
पुलिस भी रह गई हैरान
सुपरिंटेंडेंट ऑफ पुलिस एम. नारायण ने बताया कि अफसर यह जानकर चौंक गए कि महिला इस तरह दो बच्चों के साथ जिंदा रह रही थी। इलाके में हाल ही में बारिश और भूस्खलन हुआ था, ऐसे में वहां जीवित रहना बेहद कठिन था। साथ ही उसका वीजा खत्म होने के बाद भी वर्षों तक देश में रहना कानूनन गंभीर मामला है।
अब प्रशासन इस पूरे मामले की जांच कर रहा है और यह तय करेगा कि मोही और उसकी बेटियों के लिए आगे क्या कदम उठाए जाएं। इस रहस्यमयी जीवन की कहानी ने हर किसी को हैरान कर दिया है।