
भारत और पाकिस्तान के बीच चार दिनों तक चले सैन्य टकराव के बाद आखिरकार दोनों देशों के बीच सीजफायर पर सहमति बन गई। लेकिन इस फैसले के बाद देश की राजनीति गरमा गई है। विपक्ष लगातार मोदी सरकार पर हमलावर है और सीजफायर को लेकर गंभीर सवाल खड़े कर रहा है।
दिल्ली में आम आदमी पार्टी (AAP) ने इस मुद्दे को लेकर भाजपा सरकार के खिलाफ प्रदर्शन किया। ओखला स्थित मोदी फ्लोर मिल्स के पास फुटओवर ब्रिज पर आप कार्यकर्ताओं ने बैनर लेकर नारेबाजी की। बैनर पर लिखा था – “पीओके का छोड़ा मौका, मोदी का देश का धोखा”।
AAP ने अमेरिका की भूमिका पर उठाए सवाल
रविवार को राज्यसभा सांसद संजय सिंह ने सीजफायर की घोषणा को लेकर मोदी सरकार की तीखी आलोचना की। उन्होंने कहा कि जब भारतीय सेना पाकिस्तान और पीओके में आतंक के खिलाफ निर्णायक कार्रवाई कर रही थी, तब सीजफायर की घोषणा अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के माध्यम से क्यों हुई? यह भारत की संप्रभुता पर सीधा प्रहार है।
संजय सिंह ने कहा, “भारत ने कभी किसी तीसरे देश की मध्यस्थता स्वीकार नहीं की, फिर आज अमेरिका की भूमिका कैसे सामने आई? यह देश के स्वाभिमान और सैन्य पराक्रम का अपमान है। जब भारतीय सेना पीओके और बलूचिस्तान को लेकर मजबूत स्थिति में थी, तब सीजफायर क्यों किया गया?”
ऑपरेशन सिंदूर के जरिए दिया गया करारा जवाब
22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद देशभर में गुस्से का माहौल था। इसके जवाब में भारतीय सेना ने 7 मई को ‘ऑपरेशन सिंदूर’ शुरू किया। इस ऑपरेशन में सेना ने पाकिस्तान और पीओके में मौजूद नौ आतंकी ठिकानों को ध्वस्त कर कई आतंकियों को मार गिराया। जवाबी कार्रवाई में भारत ने पाकिस्तान के 14 सैन्य ठिकानों को भी नष्ट कर दिया।
📍 करोल बाग, दिल्ली
PoK को वापस भारत में शामिल करने के शानदार मौके को छोड़ने और मोदी द्वारा देश को धोखा देने के विरोध में AAP का विरोध प्रदर्शन🔥 pic.twitter.com/jxFB1H5N1b
— AAP (@AamAadmiParty) May 14, 2025
इसके बाद पाकिस्तान ने भारत के सामने सीजफायर का प्रस्ताव रखा, जिसे 10 मई को दोनों देशों ने आपसी सहमति से लागू किया। लेकिन कुछ ही घंटों में पाकिस्तान ने इसका उल्लंघन कर दिया, जिसका भारतीय सेना ने मुंहतोड़ जवाब दिया।
विपक्ष का आरोप – सेना के पराक्रम को रोका गया
विपक्ष का मानना है कि भारतीय सेना निर्णायक बढ़त पर थी और उसे रोककर सीजफायर लागू करना न सिर्फ कूटनीतिक गलती है, बल्कि देश की सुरक्षा नीति पर भी सवाल उठाता है। AAP समेत कई विपक्षी दलों ने इसे राजनीतिक और रणनीतिक चूक बताया है।