नजीब अहमद केस: कोर्ट ने CBI को दी जांच बंद करने की इजाजत, लेकिन मां का बेटे के लौटने का इंतजार अब भी कायम

जेएनयू छात्र नजीब अहमद की गुमशुदगी को लेकर सालों से चली आ रही जांच को अब औपचारिक रूप से बंद कर दिया गया है। दिल्ली की एक अदालत ने सोमवार को सीबीआई को केस बंद करने की इजाजत दे दी, यह कहते हुए कि जांच एजेंसी ने सभी संभावनाओं की पूरी तरह से जांच कर ली है और उसके पास अब कोई नया विकल्प नहीं बचा है। लेकिन इस केस का सबसे दर्दनाक पहलू है – नजीब की मां फातिमा नफीस, जो आज भी अपने बेटे के लौट आने की उम्मीद में जी रही हैं।
आखिर कौन था नजीब अहमद?
नजीब अहमद, जेएनयू में एमएससी बायोटेक्नोलॉजी का छात्र था। 15 अक्टूबर 2016 की रात वह माही-मांडवी हॉस्टल से अचानक गायब हो गया। उससे कुछ दिन पहले उसकी अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) के कुछ छात्रों से कथित झड़प भी हुई थी। इसके बाद उसका कोई सुराग नहीं मिला।
जांच की लंबी कहानी
शुरुआत में यह मामला दिल्ली पुलिस को सौंपा गया, लेकिन जब जांच में कोई प्रगति नहीं हुई तो इसे सीबीआई के हवाले कर दिया गया। सीबीआई ने कई सालों तक छानबीन की, कई संभावनाओं की जांच की, लेकिन नजीब का कोई पता नहीं चला। अक्टूबर 2018 में ही एजेंसी ने जांच बंद कर दी थी, और अब कोर्ट से भी आधिकारिक मंजूरी मिल गई है।
कोर्ट ने क्या कहा?
अदालत ने माना कि सीबीआई ने सभी पहलुओं की गहन जांच की है और अब उसके पास कोई नया सुराग नहीं है। कोर्ट ने कहा कि नजीब की गुमशुदगी के पीछे किसी व्यक्ति या संस्था की संलिप्तता के प्रमाण नहीं मिले हैं।
हालांकि अदालत ने क्लोजर रिपोर्ट स्वीकार करते हुए यह भी निर्देश दिया कि यदि भविष्य में कोई नया सुराग या सबूत सामने आता है तो सीबीआई को फिर से जांच शुरू करने की आजादी होगी।
नजीब की मां का दर्द
फातिमा नफीस, जो साल 2016 से अपने बेटे की तलाश में दिन-रात एक कर रही हैं, उन्होंने कोर्ट के फैसले के बाद भी उम्मीद नहीं छोड़ी। उन्होंने कहा,
“मैं आखिरी सांस तक नजीब का इंतजार करूंगी। मैं रोज उसके लिए दुआ करती हूं और मुझे पूरा भरोसा है कि एक दिन इंसाफ जरूर मिलेगा।”
उन्होंने यह भी कहा कि वह अपने वकीलों से सलाह लेंगी कि अब आगे क्या किया जा सकता है।
राजनीति और आरोपों का सिलसिला
नफीस के वकील पहले ही यह आरोप लगा चुके हैं कि यह मामला एक “राजनीतिक दबाव” का शिकार हुआ है और सीबीआई ने अपने “आकाओं” के आगे झुकते हुए निष्पक्ष जांच नहीं की। नजीब की मां भी कई मौकों पर प्रदर्शन कर चुकी हैं और सरकार व जांच एजेंसियों की निष्क्रियता पर सवाल उठाती रही हैं।
अदालत की संवेदनशील टिप्पणी
अतिरिक्त मुख्य मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट ज्योति माहेश्वरी ने फैसले में कहा कि अदालत एक मां के दर्द को समझती है, जो 2016 से अपने बेटे की तलाश में हैं। लेकिन इसके लिए जांच एजेंसी को दोषी नहीं ठहराया जा सकता क्योंकि उन्होंने अपने स्तर पर हर संभव प्रयास किया है।