
जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU) का छात्र नजीब अहमद साल 2016 में रहस्यमय ढंग से गायब हो गया था। उस दिन से लेकर अब तक उसकी तलाश जारी थी — पहले दिल्ली पुलिस और फिर केंद्रीय जांच एजेंसी CBI के जरिए। लेकिन अब दिल्ली की अदालत ने सीबीआई को केस बंद करने की इजाजत दे दी है। अदालत ने माना कि एजेंसी ने हर संभव जांच की, लेकिन नजीब का कोई सुराग नहीं मिल पाया।
क्या हुआ नजीब के साथ?
नजीब अहमद JNU में एमएससी बायोटेक्नोलॉजी के पहले साल का छात्र था। 13 अक्टूबर 2016 को छुट्टियों के बाद वह जेएनयू लौटा था। दो दिन बाद, 15 अक्टूबर की रात वह अचानक हॉस्टल से लापता हो गया। उससे पहले उसकी कुछ छात्रों, जिनमें कथित रूप से ABVP से जुड़े छात्र शामिल थे, के साथ बहस और झड़प हुई थी। उसके बाद से आज तक नजीब की कोई खबर नहीं मिली।
कोर्ट ने क्यों दी जांच बंद करने की अनुमति?
CBI ने 2018 में ही केस की जांच बंद करने का मन बना लिया था। एजेंसी ने कोर्ट में क्लोजर रिपोर्ट दाखिल कर कहा कि उन्होंने हर दिशा में जांच की, लेकिन नजीब को लेकर कोई ठोस जानकारी नहीं मिल सकी। सोमवार को कोर्ट ने रिपोर्ट को स्वीकार कर लिया और केस को बंद करने की अनुमति दे दी।
अदालत की टिप्पणी
अदालत ने कहा कि:
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नजीब के लापता होने के पीछे किसी छात्र या संगठन की भूमिका के पुख्ता सबूत नहीं मिले।
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सीबीआई ने मोबाइल डेटा, हॉस्टल रिकॉर्ड, गवाहों के बयान सहित हर जरूरी पहलू पर जांच की।
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जांच एजेंसी की कोशिशों पर संदेह नहीं किया जा सकता।
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अगर भविष्य में कोई ठोस जानकारी मिलती है तो जांच फिर से शुरू की जा सकती है।
मां का दर्द: “आखिरी सांस तक इंतजार करूंगी”
नजीब अहमद की मां फातिमा नफीस ने कोर्ट के फैसले पर दुख जताते हुए कहा:
“मैं अब भी अपने बेटे का इंतजार कर रही हूं। मैं आखिरी सांस तक उसका इंतजार करूंगी। हर दिन उसके लिए दुआ करती हूं।”
फातिमा नफीस शुरू से ही इस केस को लेकर मुखर रही हैं। उन्होंने कई बार प्रदर्शन किए और जांच की पारदर्शिता पर सवाल उठाए। उनका आरोप है कि यह मामला राजनीतिक दबाव में दबा दिया गया।
एक अनसुलझा रहस्य
नजीब की गुमशुदगी के बाद दिल्ली भर में छात्रों ने विरोध प्रदर्शन किए। मामला संसद से लेकर सड़कों तक उठा। जांच एजेंसियों ने हर स्तर पर खोजबीन की, लेकिन कोई नतीजा नहीं निकला।
कोर्ट ने माना कि जांच मशीनरी की पूरी कोशिशों के बावजूद नजीब का कोई सुराग नहीं मिला। मगर केस बंद हो जाने के बावजूद मां की उम्मीद अब भी जिंदा है।
क्या ये केस पूरी तरह खत्म हो गया?
नहीं। अदालत ने कहा है कि अगर भविष्य में कोई नई और विश्वसनीय जानकारी सामने आती है तो सीबीआई को दोबारा जांच शुरू करने का अधिकार रहेगा। यानी उम्मीद की एक हल्की लौ अब भी बाकी है।