सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को तलाक के एक केस में सुनवाई के दौरान प्रेम विवाह के मुद्दे पर टिप्पणी की है। दरअसल, जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस संजय करोल की बेंच वैवाहिक विवाद से जुड़े एक मसले को ट्रांसफर करने के मुद्दे पर सुनवाई कर रही थी। इस दौरान याचिकाकर्ताओं के वकीलों ने बताया कि उनके मुवक्किलों का प्रेम विवाह हुआ है।
इसी को लेकर जस्टिस गवई ने अपनी टिप्पणी में कहा कि तलाक के ज्यादातर मामले प्रेम विवाह से ही सामने आ रहे हैं। जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस संजय करोल की बेंच वैवाहिक विवाद से जुड़े एक मसले को ट्रांसफर करने के मुद्दे पर सुनवाई कर रही थी।
जस्टिस गवई ने कहा कि ज्यादातर तलाक के मामले में सिर्फ प्रेम विवाह से ही आ रहे हैं। कोर्ट ने याचिकाकर्ता को मामले में मध्यस्थता का प्रस्ताव दिया। हालांकि, पति की तरफ से इसका विरोध किया गया। इसके बाद कोर्ट ने कहा कि वह बिना पति की सहमति के भी तलाक देने का फैसला कर सकता है। इसके बाद बेंच ने मामले में मध्यस्थता कराने की बात कही।