
नई दिल्ली: राजनीति में अपराधीकरण पर रोक लगाने के लिए केंद्र सरकार ने बड़ा कदम उठाने का फैसला किया है। बुधवार को लोकसभा में सरकार तीन अहम बिल पेश करेगी, जिनमें 130वां संविधान संशोधन विधेयक सबसे महत्वपूर्ण है। इस बिल के अनुसार, अगर कोई मंत्री 5 साल या उससे अधिक सजा वाले संगीन अपराध में गिरफ्तार होकर लगातार 30 दिन तक जेल में रहता है, तो उसका मंत्री पद अपने आप खत्म हो जाएगा। यह प्रावधान प्रधानमंत्री और राज्यों के मुख्यमंत्रियों पर भी लागू होगा।
बिल के मुख्य प्रावधान
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किसी भी मंत्री को 5 साल या उससे अधिक सजा वाले अपराध में गिरफ्तार कर 30 दिन तक हिरासत में रखा गया, तो पद अपने आप समाप्त हो जाएगा।
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प्रधानमंत्री ऐसे मंत्री को हटाने की सिफारिश राष्ट्रपति से कर सकेंगे।
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यदि सिफारिश न भी की जाए, तब भी 30 दिन पूरे होने के बाद मंत्री पद स्वतः खत्म हो जाएगा।
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यही नियम प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री पर भी लागू होगा। अगर पीएम या सीएम 31वें दिन तक इस्तीफा नहीं देते हैं तो पद स्वतः समाप्त हो जाएगा। हालांकि, राष्ट्रपति चाहे तो बाद में उन्हें फिर से नियुक्त कर सकते हैं।
क्यों जरूरी है यह कानून?
सरकार का कहना है कि जनता अपने निर्वाचित प्रतिनिधियों से ईमानदारी, पारदर्शिता और स्वच्छ छवि की उम्मीद करती है। यदि कोई मंत्री गंभीर आपराधिक मामले में जेल में है, तो इससे सुशासन और संवैधानिक नैतिकता की छवि प्रभावित होती है और जनता का भरोसा डगमगा सकता है।
संविधान में संशोधन
वर्तमान में संविधान में ऐसी कोई व्यवस्था नहीं है कि गिरफ्तारी के आधार पर किसी मंत्री को पद से हटाया जा सके। इसी को ध्यान में रखते हुए सरकार अनुच्छेद 75, 164 और 239AA में संशोधन का प्रस्ताव लाई है।
लोकसभा में पेश होंगे तीन बिल
बुधवार को लोकसभा में कुल तीन बिल पेश होंगे—
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130वां संविधान संशोधन विधेयक
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केंद्र शासित प्रदेश संशोधन विधेयक
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जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन संशोधन विधेयक
इन तीनों बिलों को आगे विचार और सुझावों के लिए संयुक्त संसदीय समिति (JPC) के पास भेजा जाएगा।