लालकुआं क्षेत्र के समाजसेवी और प्रॉपर्टी डीलर महेश जोशी का सोमवार को बरेली के राममूर्ति अस्पताल में निधन हो गया। वह संदिग्ध परिस्थितियों में तहसील परिसर में जहर खाने के बाद बरेली रेफर किए गए थे। उनके निधन के बाद स्थानीय लोगों ने परिवार के साथ कोतवाली के बाहर शव रखकर जोरदार प्रदर्शन किया और सुसाइड नोट में नामित पटवारी पूजा रानी की गिरफ्तारी की मांग की।

घटना का विवरण
20 सितंबर को महेश जोशी ने लालकुआं तहसील परिसर में जहर खा लिया। उन्हें अर्ध-बेहोशी की हालत में वाहन के पास पाया गया और प्राथमिक उपचार के बाद हल्द्वानी तथा फिर भोजीपुरा के राममूर्ति अस्पताल में भर्ती कराया गया। अस्पताल में उपचार के दौरान उनकी मौत हो गई। परिवार का कहना है कि मृतक ने सुसाइड नोट में अपनी मौत का जिम्मेदार कुछ राजस्व कर्मचारियों को ठहराया है।
ग्रामीणों का प्रदर्शन
सोमवार शाम लगभग 5 बजे बरेली से शव लालकुआं कोतवाली लाया गया। सूचना मिलते ही सैकड़ों ग्रामीण जमा हो गए और मृतक को न्याय दिलाने की मांग करते हुए नारेबाजी की। प्रदर्शनकारियों ने सुसाइड नोट में नामित कर्मचारियों पर तुरंत कार्रवाई की मांग की। धरने में ग्राम प्रधान रुक्मणी नेगी, वरिष्ठ समाजसेवी हेमवती नंदन दुर्गापाल, कमल भंडारी, इंदर सिंह बिष्ट, रमेश जोशी, राधा कैलाश भट्ट, उमेश फुलारा, मुकेश दुम्का और पीयूष जोशी समेत सैकड़ों लोग शामिल थे।
चार घंटे तक जारी रहा धरना
लालकुआं कोतवाल और पुलिस अधिकारी प्रदर्शनकारियों को शांत करने का प्रयास करते रहे, लेकिन ग्रामीण पटवारी की गिरफ्तारी पर अड़े रहे। बाद में हल्द्वानी सिटी मजिस्ट्रेट, एसडीएम लालकुआं, पुलिस क्षेत्राधिकारी और क्षेत्रीय विधायक डॉ. मोहन बिष्ट मौके पर पहुंचे और वार्ता की।
गिरफ्तारी का वीडियो कॉल पर प्रदर्शन
ग्रामीणों के दबाव में पुलिस ने मामला दर्ज कर पटवारी पूजा रानी को रामनगर पुलिस के माध्यम से गिरफ्तार किया। गिरफ्तारी का दृश्य वीडियो कॉल के जरिए प्रदर्शनकारियों को दिखाया गया। इसके बाद रात लगभग 9 बजे ग्रामीण धरना खत्म कर शव का अंतिम संस्कार करने के लिए तैयार हुए।
महेश जोशी की मौत पर उठ रहे सवाल
54 वर्षीय महेश जोशी समाजसेवी और प्रॉपर्टी डीलर थे। उनके निधन से क्षेत्र में शोक की लहर है। परिवार में दो पुत्र और दो पुत्रियां हैं। ग्रामीणों और परिवार ने प्रशासन पर सवाल उठाए हैं कि जब महेश जोशी ने तहसील परिसर में जहर लिया, तब किसी को इसकी भनक क्यों नहीं लगी और प्रशासन ने इस मामले में लापरवाही क्यों बरती।