
भारतीय कपड़ा महासंघ के समन्वयक प्रभु दामोदरन ने चेतावनी दी है कि अगर भारत ने अमेरिका के साथ समय रहते सौहार्दपूर्ण समझौता नहीं किया, तो कपड़ा उद्योग गहरे संकट में फंस जाएगा।
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के आदेश के अनुसार, 7 अगस्त से भारत से आयातित वस्तुओं पर 25% टैरिफ लागू हो गया है। इसके साथ ही, रूस से कच्चे तेल की भारत द्वारा बढ़ती खरीद पर आपत्ति जताते हुए ट्रंप ने एक और कदम उठाया है—27 अगस्त से भारत के निर्यात पर यह कर 25% से बढ़कर 50% कर दिया जाएगा।
दामोदरन के मुताबिक, यह फैसला भारतीय उद्योग जगत के लिए बड़ा झटका है। उन्होंने कहा, “अमेरिका ने अन्य प्रतिस्पर्धी देशों की तुलना में भारत पर 30% ज्यादा टैरिफ लगाया है, जो अस्वीकार्य है। भारत के कुल निर्यात का लगभग 33% हिस्सा वस्त्र है, जिसमें से करीब आधा घरेलू कपड़ों से संबंधित है। ऐसे में यह कर कपड़ा उद्योग को गंभीर रूप से प्रभावित करेगा।”
उन्होंने जोर देकर कहा कि टैरिफ लागू होने में अभी 18 दिन बाकी हैं, और इस दौरान भारत को अमेरिका से बातचीत कर समाधान निकालना होगा। दामोदरन का मानना है कि चूंकि रूस-अमेरिका के बीच वार्ता चल रही है, इसलिए भारत के लिए भी सहमति बनने की संभावना बनी हुई है।
अगर समय रहते समाधान नहीं मिला, तो कपड़ा क्षेत्र में बड़ी गिरावट आ सकती है। उन्होंने केंद्र सरकार से अपील की कि वह युद्धस्तर पर इस संकट से निपटे—बैंकों के माध्यम से उद्योग को सहयोग दे, निर्यात पर सब्सिडी लागू करे और सभी जरूरी कदम उठाए।
उन्होंने चेताया कि पूरा निर्यात क्षेत्र अनिश्चितता में है—विदेशी खरीदार ऑर्डर लेंगे या उत्पादन रोकना पड़ेगा, इस पर कोई स्पष्टता नहीं है। उन्होंने कहा, “हमें तुरंत विदेशी खरीदारों से बातचीत करनी होगी, यह जानना होगा कि वे पहले से दिए गए ऑर्डर लेंगे या नहीं। यह कर सामान्य नहीं है, किसी के लिए भी इससे निपटना आसान नहीं होगा।”
दामोदरन ने विश्वास जताया कि 21 दिनों के भीतर समाधान निकल सकता है। उन्होंने यह भी कहा कि यह टैरिफ अमेरिकी उपभोक्ताओं को भी प्रभावित करेगा—जब मौजूदा स्टॉक खत्म होगा और नए उत्पाद महंगे हो जाएंगे, तब उनकी प्रतिक्रिया देखनी होगी।