एक दौर था जब खिलौने खरीदने का असली मजा सड़क किनारे खड़े फेरी वालों से ही होता था. कोई फिरकी वाला तो कोई डमरू वाला और कुछ सुरों के शौकीन बच्चे बांसुरी भी खरीदना पसंद करते थे, लेकिन गैजेट्स के दौर में ये देसी खिलौने अब बिकना और दिखना दोनों बंद होते जा रहे हैं और दिखते भी हैं, तो बस बेचने वालों से पूछिए कि, क्या इतनी बिक्री हुई कि, वे दो वक्त पेट भरकर खाना खा सकें. जवाब शायद नहीं में मिलेगा. ये दर्द उन लोगों का है, जो न सिर्फ बांसुरी बेचते हैं, बल्कि उसके सुरों को भी खूब जानते हैं, लेकिन अब हालात ये हैं कि दिनभर रेहड़ी लेकर घूमते हैं पर 60 रुपए भी नहीं कमा पाते.
बांसुरी वाले का दर्द
लिव फॉर फूड नाम के एक इंस्टाग्राम हैंडल ने एक ऐसे ही बांसुरी विक्रेता का दर्द साझा किया है. इस वीडियो में एक शख्स एक साथ कई सारी बांसुरियां लिए घूम रहा है. इस उम्मीद में कि, उसकी बांसुरी बिकेगी, तो दो वक्त के खाने का इंतजाम हो सकेगा. दिन भर की धूप में पसीना बहाने के बाद बमुश्किल 60 रुपए कमा सके हैं. 60 रुपए क्या पेट भरता है. गरीबी का आलम ये है कि, जरा सा किसी ने दर्द पूछा तो आंख में आंसू भर आए. भरे हुए गले से बांसुरी विक्रेता ने बांसुरी पर सुर भी छेड़ कर बताए और अपना दर्द भी साझा किया.
वीडियो बनाने वाले ने की मदद
इस वीडियो को बनाने वाले शख्स ने बांसुरी विक्रेता की मदद भी की, जिसे देखकर इंस्टाग्राम यूजर्स उसकी तारीफ करते नहीं थक रहे हैं. कुछ बांसुरी वाले के दर्द में दुखी भी हैं. एक यूजर ने लिखा कि, मैं ये वीडियो देखकर रो रही हूं. एक यूजर ने लिखा कि, इस वीडियो को देखकर दिल टूट गिया. ऊपर वाला इन्हें बहुत तरक्की दे. एक यूजर ने लिखा कि, ईश्वर आपको सब कुछ दे. एक यूजर ने तो यहां तक लिखा कि, मुझे उनके पास तक पहुंचने में मदद करें.